BHARAT VRITANT

कोरोना महामारी की मार से बुरी तरह से प्रभावित दक्षिण एशिया के छोटे देशों में बुधवार को आशा व उत्साह की नई लहर दौड़ गई। वजह यह है कि इस महामारी के खिलाफ भारत में निर्मित वैक्सीन की खेप इन देशों में पहुंच गई है। भारत ने बुधवार को ही कोविशील्ड की 1.50 लाख डोज भूटान और एक लाख डोज मालदीव भेजी थी। 21 जनवरी को बांग्लादेश को कोविशील्ड की 20 लाख डोज और नेपाल को 10 लाख डोज भेजी जाएगी। इसके बाद जल्द ही श्रीलंका, मारीशस और अफगानिस्तान को भी वैक्सीन की सप्लाई की जाएगी, इन देशों में नियामक मंजूरी मिलने का इंतजार किया जा रहा है। इन सभी देशों के बीच जब चीन की तरफ से अपनी पैठ बनाने की कोशिश हो रही है, ऐसे में भारत की यह वैक्सीन डिप्लोमेसी क्षेत्रीय कूटनीति में एक बड़ा गेम चेंजर बन सकती है।

भारत ने ‘पड़ोसी पहले’ की अपनी नीति को आगे बढ़ाते हुए सबसे पहले भूटान और मालदीव को वैक्सीन उपलब्ध कराई है। दो दिनों भीतर पड़ोसी देशों को 32.50 लाख वैक्सीन देने के भारत के फैसले की दुनिया भर में प्रशंसा हो रही है। साथ ही इन देशों के भीतर भी भारत की छवि पहले से और मजबूत हुई है।

भारतीय वैक्सीन के मालदीव पहुंचने पर खुद राष्ट्रपति इब्राहिम सोलिह ने विशेष प्रेस कांफ्रेंस की। उन्होंने वैक्सीन देने के लिए भारत का आभार तो जताया ही अपने देशवासियों से भी कहा कि यह उत्सव मनाने का अवसर है। भारत से मिले वैक्सीन से मालदीव की कुल पांच लाख आबादी के एक बड़े हिस्से को कोरोना से सुरक्षित किया जा सकेगा। पूरी तरह से पर्यटन पर निर्भर मालदीव के लिए अब हालात सामान्य करना आसान हो जाएगा।

इसी तरह से भूटान ने भारतीय वैक्सीन के आगमन पर विशेष कार्यक्रम का आयोजन किया, जहां पीएम लोतेय शेरिंग व कैबिनेट के दूसरे सहयोगी उपस्थित थे। पीएम शेरिंग ने पीएम नरेंद्र मोदी और भारतीय जनता का धन्यवाद किया। उन्होंने कोरोना वैक्सीन को भूटान के लोगों के लिए भारत की तरफ से अमूल्य उपहार करार दिया।

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