एम्स में आज से दो से 18 वर्ष की आयु के बच्चों पर कोरोना टीके का परीक्षण शुरू होगा। पहले चरण में 18 बच्चों को परीक्षण में शामिल शामिल किया जाएगा। आठ हफ्ते में इस परीक्षण को पूरा करने का लक्ष्य रखा गया है। कोवैक्सीन का बच्चों के रोग-प्रतिरोधी तंत्र पर अध्ययन किया जाएगा परीक्षण में भारत बायोटेक और आइसीएमआर की कोवैक्सीन का बच्चों के रोग-प्रतिरोधी तंत्र पर असर का अध्ययन किया जाएगा। इससे पहले एम्स पटना व अन्य जगहों पर परीक्षण किया जा चुका है। एम्स में वयस्कों पर कोवैक्सीन के प्रभाव का परीक्षण हुआ था और टीके को कारगर पाया गया था। अगस्त-सितंबर में कोरोना की तीसरी लहर की आशंका जताई जा रही है। कुछ विशेषज्ञ तीसरी लहर को बच्चों के लिए अधिक खतरनाक बता रहे हैं। ऐसे में बच्चों का टीका उन्हें संक्रमण से बचाने में काफी मददगार हो सकता है। इसलिए एम्स में यह ट्रायल शुरू हो रहा है।
देश में टीकाकरण के तहत लगाई जाने वाली दोनों वैक्सीन यानी कोविशील्ड और कोवैक्सीन कोरोना वायरस के खिलाफ अच्छी प्रतिरक्षा प्रदान करती हैं। परंतु, कोवैक्सीन की तुलना में कोविशील्ड ज्यादा स्पाइक-रोधी एंटीबाडी पैदा करती और इसकी सेरोपाजिटिविटी दर भी अधिक है। एक नवीनतम अध्ययन में यह दावा किया गया है। स्वास्थ्यकर्मियों के बीच यह अध्ययन किया गया। इसकी रिपोर्ट मेडरेक्सिव में प्रकाशित हुई है।
दोनों वैक्सीन की दोनों डोज के बाद 515 स्वास्थ्यकर्मियों (305 पुरुष 210 महिला) में से 95.0 फीसद में सेरोपाजिटिविटी पाई गई। इनमें से 425 को कोविशील्ड लगाई गई थी और 90 को कोवैक्सीन। कोविशील्ड लेने वाले 98.1 फीसद में और कोवैक्सीन लेने वाले 80.0 फीसद में सेरोपाजिटिविटी पाई गई। इसी तरह कोवैक्सीन की तुलना में कोविशील्ड लेने वालों में स्पाइक-रोधी एंटीबाडी की मात्रा भी ज्यादा मिली। अध्ययन के मुताबिक दोनों वैक्सीन लेने वालों में किसी भी गंभीर प्रतिकूल प्रभाव देखने को नहीं मिला। स्पाइक कोरोना वायरस का प्रोटीन है। इसी के सहारे वायरस इंसान को संक्रमित करता है।