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कोरोना संकट के बीच दिल्ली में ऑक्सीजन की किल्लत पर एक तरफ दिल्ली हाई कोर्ट में सुनवाई चल रही थी, दूसरी तरफ राजधानी के बत्रा अस्पताल में मरीजों को जान गंवानी पड़ी. हाई कोर्ट में सुनवाई के दौरान दिल्ली के बत्रा अस्पताल की तरफ से ये बताया ही जा रहा था कि उनके पास बहुत ऑक्सीजन बची है, इसी दौरान कुछ ही देर बाद खबर आई कि बत्रा में ऑक्सीजन की कमी से 8 मरीजों की मौत हो गई है, जिसमें एक डॉक्टर भी शामिल थे.

हालांकि, बत्रा अस्पताल को इस बीच ऑक्सीनज की सप्लाई भी पहुंच गई लेकिन तक तक काफी देर हो चुकी थी. अस्पताल की तरफ से जारी बयान में बताया गया है, ”हमें समय पर ऑक्सीजन नहीं मिली, दोपहर 12 बजे ही हमारी ऑक्सीजन खत्म हो चली थी और हमें डेढ़ बजे सप्लाई मिली. हमने जिंदगी गंवा दी हैं, जिसमें हमारे अपने एक डॉक्टर थे.” सुनवाई के दौरान बत्रा अस्पताल ने हाईकोर्ट को बताया था कि हमारे पास केवल एक घंटे की ऑक्सीजन बची है. बत्रा अस्पताल ने हाई कोर्ट से कहा कि हम हर रोज कुछ घंटे संकट में बिता रहे हैं, ये चक्र खत्म नहीं हो रहा.

इस पूरे मुद्दे पर दिल्ली सरकार ने कोर्ट से कहा है कि दिल्ली के ऑक्सीजन टैंकरों को प्राथमिकता नहीं दी जा रही है. दिल्ली को हर रोज संघर्ष करना पड़ रहा है. इसे जानने के लिए हमें स्क्रीन के पीछे क्या चल रहा है उसकी तह तक जाना होगा. हमारे अधिकारी हर रोज नर्वस ब्रेकडाउन की कगार पर हैं.इस बीच अधिवक्ता विराट गुप्ता ने अपनी अपील में कहा है कि वे जानते हैं कि 12 राजनीतिक पार्टियां ऑक्सीजन की ब्लैक मार्केटिंग में लगी हुई हैं. कोर्ट में लंबी सुनवाई के बाद बत्रा अस्पताल को ऑक्सीजन तो भेजी गई लेकिन उससे पहले ही वहां 8 मरीज दम तोड़ चुके थे.

वहीं, इस मामले की सुनवाई के दौरान दिल्ली सरकार ने कहा कि सरकार राजधानी में बेड़ों की संख्या 150000 तक बढ़ाने जा रही है. हम 15 हजार अतिरिक्त बेड लगा रहे हैं, लेकिन हमारे पास इन बेड्स के लिए ऑक्सीजन नहीं है. इस पर दिल्ली हाई कोर्ट ने सवाल उठाया और कहा कि दिल्ली सरकार ने अबतक आर्मी, नेवी और एयरफोर्स की मदद के लिए अबतक रिक्वेस्ट क्यों नहीं की है.