तीन दिन बाद देश में दुनिया का सबसे बड़ा टीकाकरण कार्यक्रय शुरू होगा। इससे पहले टीके की डोज राज्यों को मिलना शुरू हो चुका है लेकिन इस बीच टीके की कीमतों को लेकर भी सवाल उठ रहे हैं। एक ओर राज्य सरकारें टीकाकरण पर खर्च के लिए केंद्र से मदद मांग रही हैं, वहीं दूसरी ओर एक सामान्य व्यक्ति के लिए टीका की कीमत क्या रखी जाए? यह अब तक तय नहीं हुआ है। इस पर राजनीति से लेकर स्वास्थ्य क्षेत्र तक में एक बहस भी छिड़ी है। ऐसे में अमर उजाला ने जब इन सवालों के जवाब तलाशना शुरू किया तो भारत सरकार की टीकाकरण पर रणनीति अलग-अलग चरणों में विभाजित पाई गई। देश में फिलहाल दो तरह के टीके को आपातकालीन इस्तेमाल की अनुमति दी गई है। अगले एक महीने में दो और टीके सामने आ रहे हैं जिनमें से एक स्वदेशी जाइडस कैडिला कंपनी का है। जबकि दूसरा रूस का स्पूतनिक-5 टीका है। फिलहाल यह दोनों टीके अंतिम चरण के परीक्षण स्थिति में चल रहे हैं।सरकार की योजना के ही अनुसार, मार्च माह के पहले सप्ताह तक देश में चार और अप्रैल माह के अंत तक पांच तरह के टीके उपलब्ध होंगे। तब तक देश में तीन करोड़ स्वास्थ्य कर्मचारी और सुरक्षा जवानों को टीका दिया जाएगा। बाजार में पांच तरह के टीके उपलब्ध होने के बाद इनकी कीमतों में भी कमी आएगी और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी राज्यों के साथ मिलकर फिर कीमतों पर विचार करेंगे। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि बीते सोमवार को मुख्यमंत्रियों के साथ हुई बैठक में कुछ राज्यों से यह मांग की गई थी कि टीकाकरण का पूरा बजट केंद्र सरकार द्वारा वहन किया जाए। इस पर पीएम मोदी ने सभी मुख्यमंत्रियों के साथ योजना को साझा करते हुए कहा है कि अगले दो से तीन माह में चार से पांच तरह के टीके आने के बाद फिर से बैठकर कीमत और बजट पर चर्चा की जाएगी। अभी तक की स्थिति के अनुसार पहले तीन करोड़ लोगों को प्रधानमंत्री राहत कोष की ओर से टीका निशुल्क दिया जाना है। वहीं एक व्यक्ति को प्रति डोज कम से कम 500 से एक हजार रुपये की कीमत हो सकती है। हालांकि अभी टीका हर किसी को उपलब्ध नहीं है, लेकिन जून माह तक बाजार में इसका विकल्प मिलने की उम्मीद है।