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देश में कोरोनावायरस के खिलाफ वैक्सीनेशन अभियान 16 जनवरी से शुरू हो गया है। सरकार के जारी दिशानिर्देशों के अनुसार, इस अभियान के पहले चरण में फ्रंट लाइन वर्कर्स को टीका लगाया जाएगा, जिसमें सशस्त्र बल के जवान भी शामिल हैं। सशस्त्र बल के जवानों में सबसे पहले लद्दाख बॉर्डर पर तैनात सैनिकों को वैक्सीन दी जाएगी। मालूम हो कि भारत और चीन के बीच सात महीने से भी ज्यादा समय से चल रहे गतिरोध के कारण देश के हजारों सैनिक हथियारों के साथ पूर्वी लद्दाख में एलसी पर तैनात हैं।

इसके लिए सैन्य यूनिट्स में विशेष टीकाकरण केंद्र बनाए गए हैं। उन्होंने बताया कि कोरोनावायरस वैक्सीन की 12,000 से ज्यादा डोज लद्दाख पहुंच चुकी हैं, जिनमें से 4,000 डोज सीमा पर तैनात सैनिकों, सेना के डॉक्टरों और पैरामेडिक्स के लिए रखी गई हैं। सशस्त्र बल स्वास्थ्य सेवा के पूर्व महानिदेशक लेफ्टिनेंट जनरल बीके चोपड़ा ने कहा, “हालांकि सशस्त्र बलों ने कोरोना प्रोटोकॉल का सख्ती से पालन किया है, लेकिन कठिन परिस्थितियों में भी देश की सुरक्षा के लिए सैन्य स्वास्थ्य कर्मचारियों और फ्रंटलाइन सैनिकों की महत्वपूर्ण भूमिका को देखते हुए आगे भी महामारी से सुरक्षा के लिए टीकाकरण अभियान के पहले चरण में इन सभी को वैक्सीन दिया जाना बहुत जरूरी है।”

तैयारियों में शामिल अधिकारियों ने बताया कि सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया की कोविशिल्ड वैक्सीन की सभी खेप सभी राज्यों की राजधानियों में पहुंच गई हैं और जिलों और ब्लॉकों में उनका वितरण जारी है। पीएम मोदी ने कहा है कि फ्रंटलाइन वर्कर्स और हेल्थ वर्कर्स सहित पहले चरण में 3 करोड़ कोरोना वारियर्स के वैक्सीनेशन का खर्च केंद्र सरकार उठाएगी। इसमें राज्य सरकार को कई खर्च नहीं उठाना पड़ेगा। उन्होंने कहा कि वैक्सीनेशन के दौरान भी जागरुकता फैलाना जारी रखना है।

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