कोरोना वैक्सीन डिप्लोमेसी में भारत लगातार चीन को मात दे रहा है। दुनियाभर से लगातार भारतीय वैक्सीन की मांग बढ़ रही है। चीन की तुलना में भारतीय वैक्सीन की क्षमता को ज्यादा प्रभावी माना जा रहा है। सूत्रों ने कहा कि हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन और रेमडेसिवीर की सप्लाई के दौरान भारत के विश्वसनीय ट्रैक रिकॉर्ड को देखते हुए भी तमाम देश भारतीय वैक्सीन की ओर आकर्षित हो रहे हैं। साथ ही वैक्सीन की सफलता दर से भी दुनिया के देश आश्वस्त हैं। भारतीय वैक्सीन की मांग लगातार हो रही है। अनुदान के तौर पर कुछ देशों को वैक्सीन उपलब्ध कराने के बाद अब व्यावसायिक स्तर पर भी मांग तेज हुई है।
सार्क देशों, बिम्सटेक सदस्य के अलावा कई अफ्रीकी व यूरोपीय देश, मध्य व पूर्व एशिया के देश भारत से वैक्सीन पाने की होड़ में हैं। गवर्नमेंट टू गवर्नमेंट के अलावा सीधे कंपनियों को आर्डर दिए जा रहे हैं। सीरम इंस्टीट्यूट के अलावा भारत बॉयोटेक की वैक्सीन भी अब दुनिया के विभिन्न देशों की डिमांड लिस्ट में है।
कोरोना वैक्सीन के उत्पादन की क्षमता अमेरिका और भारत में सबसे ज्यादा है। डाटा विश्लेषण कंपनी एयरफिनिटी के मुताबिक, अमेरिका 2021 तक 4.7 अरब कोरोना वैक्सीन का उत्पादन कर लेगा। वहीं डाइचीवेले के एक डाटा के मुताबिक, भारत में 2021 तक 3.13 अरब डोज का उत्पादन होगा। इसके बाद चीन (1.90 अरब), ब्रिटेन (0.95 अरब), जर्मनी (0.50 अरब) और दक्षिण कोरिया (0.35 अरब) में ज्यादा संख्या में वैक्सीन बनाई जाएगी। वहीं सबसे बड़ी कंपनी की बात करें तो भारत की कंपनी सीरम इंस्टीट्यूट दुनिया की सबसे बड़ी कोरोना वैक्सीन उत्पादक है। यह हर साल 1.4 अरब डोज वैक्सीन का उत्पादन अकेले ही करती है।