वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए हुई सुनवाई में जस्टिस संजय किशन कौल की बेंच ने कहा कि पब्लिक प्लेसेज पर लंबे समय तक धरने नहीं दिए जा सकते। एक तय जगह पर ही प्रदर्शन होने चाहिए। मामला दिल्ली के शाहीन बाग प्रदर्शन से जुड़ा है। वहां पर तीन महीने से ज्यादा समय तक सड़क रोककर प्रदर्शन हुआ था। इससे लोगों को आने-जाने में परेशानी हुई। पिटीशनर ने सुप्रीम कोर्ट में कहा था कि सार्वजनिक जगहों पर प्रदर्शनों पर रोक लगनी चाहिए।
ऐसे मामलों में अफसरों को खुद एक्शन लेना चाहिए। वे अदालतों के पीछे नहीं छिप सकते, कि जब कोई आदेश आएगा तभी कार्रवाई करेंगे।कोर्ट ने पहले कहा था कि विरोध के अधिकार और मूवमेंट के अधिकार में बैलेंस होना चाहिए।वकील अमित साहनी ने इस मामले में पिटीशन फाइल की थी। कोर्ट ने 21 सितंबर आखिरी सुनवाई में कहा था कि विरोध करने के अधिकार और जनता की आवाजाही के अधिकार के बीच बैलेंस होना चाहिए। संसदीय लोकतंत्र में सभी को विरोध का हक है, लेकिन क्या लंबे समय तक कोई सार्वजनिक सड़क जाम की जा सकती है।दिल्ली के शाहीन बाग में नागरिकता संशोधन कानून के खिलाफ 14 दिसंबर से प्रदर्शन शुरू हुआ था जो 3 महीने से ज्यादा चला। सुप्रीम कोर्ट ने 17 फरवरी को वकील संजय हेगडे और साधना रामचंद्रन को जिम्मेदारी दी कि प्रदर्शनकारियों से बात कर कोई समाधान निकालें,लेकिन कई राउंड की चर्चा के बाद भी बात नहीं बन पाई थी। बाद में कोरोना के चलते लॉकडाउन होने पर 24 मार्च को प्रदर्शन बंद हो पाया था।

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