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सेना के पुनर्गठन की प्रक्रिया शुरू हो चुकी है लेकिन इसमें जो सबसे बड़ा बदलाव होने जा रहा है, वह सेना को भविष्य में इंसानी ताकत की बजाय तकनीक की ताकत से लैस करना है। इसके लिए सेना ने नई प्रौद्यौगिकी के पांच क्षेत्रों में आगे बढ़ने के लिए तैयारी शुरू कर दी है। इनमें आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस, रोबोटिक्स, क्वांटम कंप्यूटिंग, ब्लाक चेन और बिग डाटा एनलाटिक्स हैं। इस बात पर शोध हो रहे हैं कि किस रूप में इन तकनीकों का सेना में इस्तेमाल हो।

सेना की प्रशिक्षण कमान ने कुछ समय पूर्व एक वैज्ञानिक अध्ययन कराया था कि किस प्रकार भविष्य में सेना को नई तकनीकों से लैस कर सशक्त बनाया जा सकता है। इस अध्ययन के आधार पर आगे बढ़ने के लिए एक व्याप्त रुपरेखा तैयार की गई है। जिसमें पांच प्रौद्यौगिकियों पर आगे कार्य करने का फैसला लिया गया है। हाल में आर्मी डिजाइन ब्यूरो के तहत दो प्रोजेक्ट आर्मी टेक्नोलॉजी बोर्ड और आर्मी टेक्नोलॉजी फंड के जरिये मंजूरी किए गए हैं। क्रमश 36 और 23 करोड़ रुपये के इन प्रोजेक्ट में सेना में उपरोक्त तकनीकों के इस्तेमाल को लेकर शोध किए जा रहे हैं।

आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस तकनीकों के जरिये सेना सीमाओं की निगरानी के उपाय सुनिश्चित कर सकती है। इस प्रकार रोबोटिक्स तकनीक के इस्तेमाल उन क्षेत्रों में किया जा सकता है जहां जवानों की तैनाती बेहद कठिन एवं महंगी है। क्वाटंम कंप्यूटिंग तकनीक से सूचनाओं के आदान-प्रदान को तीव्र एवं सुरक्षित बनाया जा सकता है क्योंकि क्वांटम तकनीक को हैक नहीं किया जा सकता है। ब्लाक चेक तकनीक वित्तीय कार्य को सुदृढ़ और पारदर्शी बनाने के लिए किया जा सकता है। जबकि बिग डाटा एनालेटिक्स के जरिये सुरक्षा संबंधी आंकड़ों के व्यापक और तीव्र विश्लेषण किया जा सकता है।

सेना प्रमुख जनरल मनोज मुकंद नरवणे ने कहा कि सेना बदलाव के दौर से गुजर रही है। हम भविष्य में सेना को मानव ताकत आधारित सेना से तकनीकी रूप से शक्तिशाली सेना के रूप में परिवर्तित करने की दिशा में कार्य कर रहे हैं। सिर्फ थल सेना में ही नहीं बल्कि तीनों सेनाओं में इस प्रकार के बदलाव लाए जाएंगे।

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