भारत और अमेरिका के बीच आने वाले दिनों में 2.5 बिलियन डॉलर की एक डील होने वाली है। 56 मिडियम ट्रांसपोर्ट एयरक्राफ्ट के लिए होने वाली ये डील भारतीय वायुसेना के लिए होगी। इन एयरक्राफ्ट के बाद वायुसेना में पुराने पड़ चुके एवरो-748 एयरक्राफ्ट को हटाया जाएगा। अमेरिका की एयरबस डिफेंस एंड स्‍पेस और भारत के टाटा एडवांस्‍ड सिस्‍टम्‍स लिमिटेड (टीएएसएल) साथ में मिलकर सी-295 ट्रांसपोर्ट एयरक्राफ्ट को डेवलप करेंगे। इस प्रोजेक्‍ट को एरोस्‍पेस सेक्‍टर में मेक इन इंडिया पहल के तहत आगे बढ़ाया जाएगा।

एयरबस सी295 एक नई पीढ़ी का टैक्टिकल एयरलिफ्टर है। यह बहुत ही मजबूत एयरक्राफ्ट है और कई अलग-अलग मिशन पर सफलतापूर्वक परफॉर्म कर सकता है। सी295 दुनियाभर में मौसम की अलग-अलग परिस्थितियों में कई तरह के ऑपरेशंस कंडक्‍ट करता आया है। युद्ध के समय इस एयरक्राफ्ट को दिन और रात हर मौसम में पूरा दिन ऑपरेट किया जा सकता है।

इसने रेगिस्‍तान से लेकर समंदर और अत्‍यधिक गर्मी वाली जगह से लेकर खून जमा देने वाली सर्दी तक में अपनी क्षमता को साबित कर चुका है। एयरबस की तरफ से बताया गया है कि आज जिस तरह से दुनियाभर में कई प्रकार के एयर ट्रांसपोर्ट मिशंस की मांग में इजाफा होता जा रहा है, यह एयरक्राफ्ट हर उस डिमांड को पूरा करने में सक्षम है। इस एयरक्राफ्ट की रेंज 6 टन के पेलोड के साथ 3704 किलोमीटर तक है। एयरक्राफ्ट 11 घंटे से ज्‍यादा समय तक हवा में रह सकता है। विमान की क्षमता 71 जवानों और 50 पैराट्रूपर्स की है। अगर इसे मेडिकल इवैक्‍युएशन के लिए प्रयोग किया जाता है तो इसमें 24 स्‍ट्रेचर्स आ सकते हैं। यहां तक कि एक आईसीयू यूनिट को भी कनफिगर करना संभव है।

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