सेंट्रल बोर्ड ऑफ सेकेंडरी एजुकेशन के नए नियमों के तहत अब दसवीं में कोई फेल नहीं होगा. सीबीएसई में पढ़ने वाले स्टूडेंट्स की तो समझिए निकल पड़ी है. अगर छात्र-छात्राएं किसी स्किल में अच्छे हैं तो सिर्फ इस आधार पर फेल नहीं होंगे कि उनके मैथ्स में कम नंबर आए हैं या फिर साइंस में कम नंबर आए हैं. इसका सबसे बड़ा फायदा यह होगा कि छात्र-छात्राओं का साल बर्बाद होने से बच जाएगा. स्किल इंडिया के मकसद को ध्यान में रखते हुए सीबीएसई बोर्ड ने यह नियम बनाया है. कई ऐसे विद्यार्थी होते हैं जो आम तौर पर मैथ्स या साइंस जैसे विषयों में फेल हो जाते हैं लेकिन वे आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, कंप्युटर या और किसी स्किल में अच्छे हैं.
सीबीएसई के इस नए नियम से उन छात्र-छात्राओं को लाभ मिलेगा जो हुनरमंद होते हुए भी पढ़ाई में कमजोर होने की वजह से फेल हो जाया करते थे. अब तक उनके हुनर का कोई फायदा नहीं मिल रहा था. लेकिन अब वे पढ़ाई के अलावा अन्य स्किल की वजह से भी पास हो सकेंगे और उनका साल बर्बाद होने से बच जाएगा.
लेकिन कुछ ऐसी भी प्रतिक्रियाएं सामने आई हैं जो इस नए नियम पर सवाल उठाती हैं. ऐसी ही एक प्रतिक्रिया एजुकेशन एक्सपर्ट हेरांब कुलकर्णी की आई है. लेकिन यह ठीक नहीं है कि उन्हें विषय की जानकारी नहीं होने पर भी पास कर दिया जाए. इसकी बजाय ऐसे बच्चों को विशेष प्रशिक्षण देकर उनकी कमियों को पूरा किया जाना चाहिए. तब पास करना चाहिए.”
सीबीएसई की ओर से तय स्किल बेस्ड लर्निंग प्रोग्राम में स्टूडेंट्स की रुचि साल-दर-साल बढ़ती जा रही है. 2020 में जहां 20 प्रतिशत छात्र-छात्राओं ने स्किल बेस्ड सब्जेक्ट्स को चुना तो 2021 में इनका प्रतिशत 30 हो गया. यानी छात्र-छात्राओं का रुझान स्किल डेवलपमेंट में बढ़ा है और अगर कोई किताबी पढ़ाई में अच्छा नहीं माना जा रहा है तो इसका मतलब यह नहीं कि वो नाकारा या पप्पू है. अब पप्पू भी पास करेगा और उसे पप्पू मजाक से नहीं बल्कि इज्जत से बुलाया जाएगा.