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केंद्रीय सूचना एवं प्रौद्योगिकी मंत्रालय ने कहा है कि सरकार ने कभी भी ट्विटर समेत किसी भी सोशल मीडिया कंपनियों के कर्मचारियों को जेल भेजने की धमकी नहीं दी। मंत्रालय ने फेसबुक, व्हाट्सएप और ट्विटर के कर्मचारियों को जेल की सजा का प्रावधान करने संबंधी खबरों पर कहा, सोशल मीडिया प्लेटफार्म अन्य व्यवसायों की तरह ही भारत के कानूनों और संविधान का पालन करने के लिए बाध्य है। जैसा की संसद में स्पष्ट किया गया है कि सोशल मीडिया के यूजर्स सरकार, पीएम या किसी भी मंत्री की आलोचना कर सकते हैं, लेकिन हिंसा को बढ़ावा देना, सांप्रदायिक विभाजन या आतंकवाद के प्रसार को रोकना होगा।

हाल ही में सरकार ने ट्विटर को किसान आंदोलन को लेकर फर्जी खबरें प्रसारित करने को लेकर सैकड़ों पोस्ट, अकाउंट व हैशटैग हटाने का आदेश दिया था। सरकार का कहना था कि यह नियमों का उल्लंघन है। हालांकि ट्विटर ने शुरुआत में आदेश का पूरी तरह पालन नहीं किया, लेकिन सरकार ने जब दंडात्मक प्रावधानों का हवाला दिया तो उसने आदेश पर अमल किया।

मंत्रालय ने कहा है कि हाल ही में सोशल मीडिया के लिए जारी दिशानिर्देशों में कंपनियों को उसके यूजर्स के लिए एक मजबूत शिकायत निवारण तंत्र बनाने को कहा गया है। किसी भी सरकारी संचार में न ही मौखिक और न ही लिखित तौर पर सोशल मीडिया प्लेटफार्म के कर्मचारियों को जेल भेजने की धमकी दी गई है। सरकार आलोचना और असहमति का स्वागत करती है।