अमेरिकी संसद कैपिटल में हिंसा के लिए यूएस हाउस में राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के खिलाफ प्रस्ताव पारित हो गया है। प्रस्ताव पारित हो जाने के बाद ट्रंप महाभियोग का सामना करने वाले अमेरिका के पहले राष्ट्रपति बन गए हैं। हाउस ने ट्रंप पर ‘फसाद के लिए उकसाने’ का आरोप लगाया है। बता दें कि गत छह जनवरी को सैकड़ों की संख्या में ट्रंप के उग्र समर्थक यूएस कैपिटल में दाखिल हुए और वहां जमकर हिंसा एवं उत्पात मचाया। ट्रंप समर्थकों की इस हिंसा में पांच लोगों की जान गई। इस घटना पर दुनिया के नेताओं ने अफसोस जताया। ट्रंप को 20 जनवरी से पहले राष्ट्रपति पद से हटाने के लिए डेमोक्रेट सांसद लामबंद हुए हैं।
ट्रंप को हटाने की प्रक्रिया में उन्हें कुछ रिपब्लिकन सांसदों का भी समर्थन मिला है। उधर, ट्रंप ने भी बयान जारी किया है। अपने बयान में ट्रंप ने यूएस कैपिटल की हिंसा के बारे में जिक्र किया है लेकिन महाभियोग के बारे में कुछ नहीं कहा है। अमेरिका के निचले सदन हाउस रिप्रेंजेंटेटिव में महाभियोग प्रस्ताव पारित हुआ है। महाभियोग के पक्ष में 232 वोट और विरोध में 197 वोट पड़े। बताया जाता है कि इस प्रस्ताव के समर्थन कुछ रिपब्लकिन सांसदों ने भी वोट किया है। यूएस सभा में महाभियोग की प्रक्रिया पूरी होने के बाद ऊपरी सदन यानि सीनेट इस पर वोट करेगा। अमेरिका में 20 जनवरी को जो बिडेन राष्ट्रपति पद की शपथ लेंगे। डेमोक्रेट चाहते हैं कि इससे पहले ट्रंप को पद से हटा दिया जाए। इसके साथ ही अमेरिका के इतिहास में ट्रंप पहले ऐसे राष्ट्रपति बन गए हैं जिनके खिलाफ एक ही कार्यकाल में दो बार महाभियोग प्रस्ताव पारित हुआ है।
ट्रंप को राष्ट्रपति पद से हटाने के लिए जरूरी है कि सीनेट में उनके खिलाफ दो तिहाई बहुमत से प्रस्ताव पारित हो। यदि ऐसा हो जाता है तो उन्हें 20 जनवरी से पहले राष्ट्रपति पद से हटना पड़ेगा। सीनेट में ऐसा प्रस्ताव भी पारित हो सकता है जिसमें ट्रंप को दोबारा सार्वजनिक पद पर आसीन होने से रोक दिया जाए। इस बीच, ट्रंप ने अपने एक वीडियो संदेश में लोगों से ‘एकजुट’ होने की अपील की है। अपने संदेश में ट्रंप ने कहा, ‘मैं लोगों से भावनाओं से ऊपर उठते हुए अमेरिकी के रूप में एकजुट होने की अपील करता हूं। अपने परिवार की भलाई के लिए हम एकजुट होकर आगे बढ़ने का प्रयास करें।’
यूएस कैपिटल में अपने समर्थकों की हिंसा को खारिज करते हुए ट्रंप ने कहा कि हिंसा एवं उत्पात को कभी न्यायसंगत नहीं ठहराया जा सकता। उन्होंने कहा, ‘हिंसा के लिए कोई बहाना नहीं चलेगा, अमेरिका कानूनों को मानने वाला देश है। पिछले सप्ताह जिन लोगों ने हमला किया उन्हें न्याय के कठघरे में लाया जाएगा।’ वहीं, यूएस हाउस की स्पीकर नैंसी पेलोसी ने कहा कि आज सभा ने दिखाया कि कोई भी कानून से ऊपर नहीं है। यहां तक कि अमेरिका के राष्ट्रपति भी नहीं।