चीनी सैनिकों ने पिछले साल मई के बाद से पश्चिमी क्षेत्र में वास्तविक नियंत्रण रेखा को कई बार पार करने का प्रयास किया, जिसका भारत की तरफ से माकूल जवाब दिया गया. सरकार की ओर से संसद में बुधवार को यह जानकारी दी गई. लोकसभा में एक प्रश्न के लिखित उत्तर में, विदेश राज्य मंत्री वी मुरलीधरन ने कहा कि सीमावर्ती इलाकों में और पश्चिमी क्षेत्र में एलएसी के पास चीनी पक्ष द्वारा सैनिकों की तैनाती को बढ़ाया गया है.
भाजपा सांसद संगम लाल गुप्ता के एक सवाल का जवाब देते हुए उन्होंने कहा, “मई के मध्य से चीनी पक्ष ने भारत-चीन सीमा के पश्चिमी क्षेत्र के कई स्थानों पर एलएसी को स्थानांतरित करने का प्रयास किया. चीन के इन प्रयासों का भारत ने माकूल जवाब दिया.” मुरलीधरन ने कहा कि एलएसी पर बदलाव करने के प्रयासों से उत्पन्न मुद्दों के समाधान के लिए, भारत और चीन ने स्थापित सैन्य और राजनयिक चैनलों के माध्यम से विचार-विमर्श किया है.
दोनों पक्षों के वरिष्ठ सैन्य कमांडरों ने पिछले साल 6 जून, 22 जून, 30 जून, 14 जुलाई, 2 अगस्त, 21 सितंबर, 12 अक्टूबर, 6 नवंबर और इस साल 24 जनवरी को एक बैठक की थी. वहीं, सीमा मामलों पर परामर्श और समन्वय के लिए कार्य तंत्र ने पिछले साल 24 जून, 10 जुलाई, 24 जुलाई, 20 अगस्त, 30 सितंबर और 18 दिसंबर को छह बैठकें कीं.
मंत्रालय ने दोनों देशों के रक्षा मंत्रियों की मुलाकात का जिक्र भी किया. जवाब में कहा गया है- रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने अपने चीनी समकक्ष से 4 सितंबर 2020 को मॉस्को में मुलाकात की थी. दोनों मंत्रियों ने एक-दूसरे को संदेश दिया था कि सीमा विवाद को बातचीत के जरिए सुलझाया जाना चाहिए.
इससे पहले विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने कहा था कि भारत और चीन का संबंध दोराहे पर खड़ा है. उन्होंने चीन के साथ सीमा गतिरोध पर कहा था कि पूर्वी लद्दाख में पिछले वर्ष हुई घटनाओं ने दोनों देशों के संबंधों को गंभीर रूप से प्रभावित किया है और संबंधों को आगे तभी बढ़ाया जा सकता है जब वे आपसी सम्मान, संवेदनशीलता, साझा हित जैसी परिपक्वता पर आधारित हों.