म्यांमार में सेना की ओर से तख्तापलट किए जाने के पर भारत ने गुरुवार को कहा कि वह पड़ोसी देश में घटनाक्रम पर करीब से नजर रखे हुए है. विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अनुराग श्रीवास्तव ने कहा, ”भारत और म्यांमार पड़ोसी हैं, जिनके बीच करीबी सांस्कृतिक और दोनों देशों की जनता के स्तर पर संबंध है, जिन्हें व्यापार, आर्थिक, सुरक्षा व रक्षा संबंधी आदान-प्रदान से मजबूती मिलती है.”
उन्होंने संवाददाता सम्मेलन में कहा कि भारत के लिए मुद्दा संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद का सदस्य होने के नाते भी महत्व रखता है. म्यांमार की सेना ने सोमवार को असैन्य सरकार का तख्तापलट कर सत्ता हथिया ली थी और देश में आपातकाल लागू कर नोबेल पुरस्कार विजेता आंग सान सू ची व नेशनल लीग फॉर डेमोक्रेसी (एनएलडी) के अन्य नेताओं को हिरासत में ले लिया था.
इस घटना के बाद भारत ने ”गंभीर चिंता” जताई और कहा कि देश में कानून का शासन और लोकतांत्रिक प्रक्रिया बहाल रखी जानी चाहिए. श्रीवास्तव ने कहा, ”भारत ने दवाएं, जांच किट और टीके उपलब्ध कराकर कोविड-19 के खिलाफ लड़ाई में म्यांमार को सहायता उपलब्ध कराई है. हम महामारी का आर्थिक और स्वास्थ्य संबंधी प्रभाव कम करने में म्यांमार के लोगों की लगातार मानवीय मदद करने को कटिबद्ध हैं.”
दूसरी तरफ, संयुक्त राष्ट्र के महासचिव एंतोनियो गुतेरेस ने म्यांमार में सैन्य तख्तापलट को ”विफल” करने के लिए अंतरराष्ट्रीय समुदाय से मदद लेने का संकल्प जताया है. उन्होंने कहा कि यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि संकट से निपटने के लिए सुरक्षा परिषद एकजुट नहीं हुआ है.
म्यांमार में सेना द्वारा सत्ता पर नियंत्रण करने के बाद स्थिति पर चर्चा करने के लिए मंगलवार को संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद् की बैठक हुई. गुतेरेस ने ‘द वॉशिंगटन पोस्ट’ को दिए इंटरव्यू में कहा, ”दुर्भाग्य से इस संबंध में सुरक्षा परिषद एकजुट नहीं हो सका और तख्तापलट को विफल बनाने की खातिर म्यांमार पर पर्याप्त दबाव बनाने के लिए हम अंतरराष्ट्रीय समुदाय के प्रमुख देशों की मदद लेंगे.”