BHARAT VRITANT

पिछले एक साल में अंतरिक्ष अनुसंधान में बहुत ज्यादा काम हुए है। जहां एक साल पहले सुदूर अंतरिक्ष यात्राएं केवल संभव मानी जा रही थीं, चांद और मंगल पर इंसान का लंबे समय तक जाना कल्पना नहीं रहने वाली थी। अब इन पर बाकायदा काम होने लगा है। अंतरिक्ष पर्यटन पर इतनी तेजी से काम हो रहा है कि अब केवल समय की बात रह गई लगती है। इसी दिशा में नासा आगामी 17 जनवरी को दुनिया का ‘अब तक का सबसे शक्तिशाली रॉकेट’ स्पेस लॉन्च सिस्टम का प्रक्षेपण करने जा रहा है। नासा स्पेस लॉन्च सिस्टम पर पिछले कुछ सालों से काम कर रहा है। इसका परीक्षण नासा अनेक कारणों से कई बार टाल भी चुका है। इस समय नासा का सबसे प्रमुख अभियान आर्टिमिस कार्यक्रम पर काम चल रहा है। जिसमें तीन चरणों के अभियानों के अंतिम चरण में एक महिला और एक पुरुष यात्री को चंद्रमा की धरती पर उतारा जाएगा।

यह परीक्षण नासा के आठ भागों की परिक्षण का अंतिम चरण होगा। इस प्रक्रिया को नासा ने एसएलएस ग्रीन रन नाम दिया है। इससे पहले के चरण यानि कि सातवें चरण का परीक्षण पिछले महीने की 20 तारीख को किया गया था। उस परीक्षण में रॉकेट ने 2.65 लाख लीटर की अतिशीत तरल ईंधन ले जाने की क्षमता दिखाई थी। मंगल से वापसी के लिए मीथेन को बनाया जा सकता है रॉकेट ईंधन- शोध सॉफ्टवेयर परीक्षण सफलयह परीक्षण नासा के मिसीसिपी के सेंट लुईस खाड़ी के पास स्टेनिस स्पेस सेंटर पर किया जाएगा।

बासलेर ने बताया कि अब के सभी परीक्षण आंकड़ों से हमें यह आश्वासन मिला है कि टीम वास्तविक परीक्षण के लिए जा सकती है। एसएलएस 322 फुल लंबा है जो कि सैटर्न V (363) से थोड़ी कम ऊंचाई का है। इस रॉकेट ने 1960 में एस्ट्रोनॉट्स को चंद्रमा पर ले जाने का काम किया था। लेकिन एसएलएस सैटर्न V से लिफ्टऑफ के मामले में 15 प्रतिशत ज्यादा शक्तिशाली है। इसके अलावा यह बाह्य अंतरिक्ष में बहुत ज्यादा भार ले जाने में सक्षम है।

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