प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गुरुवार को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए वेस्टर्न डेडिकेटेड फ्रेट कॉरिडोर (डब्ल्यूडीएफसी) के रेवाड़ी-मदार खंड को देश को समर्पित कर दिया। कार्यक्रम के दौरान प्रधानमंत्री ने इलेक्ट्रिक ट्रैक्शन द्वारा चलने वाली डेढ़ किलोमीटर लंबी दुनिया की पहली डबल स्टैक लॉन्ग हॉल कंटेनर ट्रेन को भी हरी झंडी दिखाकर रवाना किया। कार्यक्रम को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि जब नए साल में देश का आगाज अच्छा है। तो आने वाला समय भी शानदार और जानदार होना तय है। प्रधानमंत्री ने कहा कि कुछ दिनों पहले, भारत ने कोविड-19 के लिए दो मेड इन इंडिया के टीके को मंजूरी दी, इसने भारतीयों को नए सिरे से आत्मविश्वास प्रदान किया। उन्होंने कहा कि आज हर भारतीय का आह्वान है कि न हम रुकेंगे, न हम थकेंगे। प्रधानमंत्री ने अफने संबोधन के दौरान जापान और जापान के लोगों का धन्यवाद किया। पहले हमारे यहां रेलवे में बुकिंग से लेकर यात्रा समाप्ति तक शिकायतों का ही अंबार रहता था। साफ-सफाई, समय पर ट्रेन चले, सुविधा, सुरक्षा हर स्तर पर रेलवे में बदलाव करने की मांग होती रही। बदलाव के इन कामों को बीते वर्षों में गति दी गई है।
पिछले छह वर्षों में, रेल नेटवर्क के चौड़ीकरण पर किया गया निवेश अभूतपूर्व है। इसने भारतीय रेलवे के दायरे को चौड़ा किया है और हमारी ट्रेनों की गति को बढ़ाया है। वह दिन दूर नहीं जब पूर्वोत्तर राज्यों की सभी राजधानियों को ट्रेनों से जोड़ा जाएगा।
आज का दिन एनसीआर, हरियाणा और राजस्थान के किसानों, उद्यमियों, व्यापारियों के लिए नए अवसर लाया है। डेडिकेटेड फ्रेट कॉरिडोर चाहे ईस्टर्न हो या वेस्टर्न ये सिर्फ मालगाड़ियों के लिए आधुनिक रूट नहीं हैं। ये देश के तेज विकास के कॉरिडोर हैं। आज हाईवे, रेलवे, एयर वे, वॉटर वे की कनेक्टिविटी पूरे देश में पहुंचाई जा रही है और तेजी से पहुंचाई जा रही है। अपने पोर्ट्स को ट्रांसपोर्ट के अलग अलग माध्यमों से कनेक्ट किया जा रहा है।
जापान और जापान के लोग हमेशा विकास की दिशा में भारत की यात्रा में एक मित्र के रूप में खड़े हुए हैं। आर्थिक सहायता प्रदान करते हुए, जापान ने वेस्टर्न डेडिकेटिड फ्रेट कॉरिडोर में तकनीकी सहायता के साथ हमारी मदद की है। मैं जापान और उसके लोगों को धन्यवाद देता हूं।
जब रेलवे की बात आए और पटरियों की चर्चा न हो ये संभव नहीं है। आज भारत में इंफ्रास्ट्रक्चर का काम दो पटरियों पर एक साथ चल रहा है। एक पटरी व्यक्तियों के विकास को आगे बढ़ा रही है, दूसरी पटरी से देश के ग्रोथ को नई ऊर्जा मिल रही है। आज भारत में इंफ्रास्ट्रक्चर का काम 2 पटरियों पर एकसाथ चल रहा है। एक पटरी इंडीविजुअल व्यक्ति के विकास को आगे बढ़ा रही है और दूसरी पटरी पर देश के ग्रोथ इंजन को नई ऊर्जा मिल रही है।
ये फ्रेट कॉरिडोर 9 राज्यों में 133 रेलवे स्टेशनों को कवर करते हैं। इन स्टेशनों में मल्टीमॉडल लॉजिस्टिक पार्क, फ्रेट टर्मिनल, कंटेनर डिपो, कंटेनर टर्मिनल और पार्सल हब का विकास अन्य आधुनिक बुनियादी ढांचे के बीच होगा।
हम जानते हैं कि आधुनिक बुनियादी ढांचा जीवन के साथ-साथ उद्योग के लिए भी और हमारे जीवन को आगे ले जाने के लिए आवश्यक है। इनसे संबंधित कार्य अर्थव्यवस्था के कई मोर्चों जैसे सीमेंट, स्टील और अन्य सहायक उद्योगों की मदद करते हैं। आज हरियाणा के न्यू अटेली से राजस्थान के न्यू किशनगढ़ के लिए पहली डबट स्टेट कंटेनर मालगाड़ी रवाना की गई है। ये अपने आप में बहुत बड़ी उपलब्धि है। भारत इस सामर्थ्य वाले दुनिया के गिने चुने देशों में अपनी उपस्थिति दर्ज करा रहा है।
कुछ ही दिन पहले भारत ने कोरोना की 2 मेड इन इंडिया वैक्सीन भी स्वीकृत की है। भारत की अपनी वैक्सीन ने देशवासियों में नया आत्मविश्वास पैदा किया है।
आज हर भारतीय का आह्वान है कि न हम रुकेंगे, न हम थकेंगे। हम सब भारतीय मिलकर और तेजी से आगे बढ़ेंगे। जब नए साल में देश का आगाज अच्छा है। तो आने वाला समय भी शानदार और जानदार होना तय है। इतने शिलान्यास इसलिए भी महत्वपूर्ण हैं क्योंकि भारत ने ये सब कोरोना संकट के कालखंड में किया है।
इस समर्पित फ्रेट कॉरिडोर को अगले दशक में भारत के लिए एक गेमचेंजर के रूप में देखा जा रहा है। पिछले 5-6 सालों में बहुत मेहनत करने के बाद यह फलने-फूलने लगा है। भारत को सभी मोर्चों पर विकास के लिए 3 गुनी गति की आवश्यकता है।
कुछ दिनों पहले, ईस्टर्न फ्रेट कॉरिडोर में 90 किमी/ घंटा से अधिक की गाड़ियों की रजिस्टर गति देखी गई है, जो कि पुरानी गति से 3 गुना अधिक है। कुछ दिनों पहले, भारत ने कोविड-19 के लिए दो मेड इन इंडिया के टीके को मंजूरी दी, इसने भारतीयों को नए सिरे से आत्मविश्वास प्रदान किया। ये सभी प्रयास और कदम भारत को आत्मनिर्भर भारत बनाने की दिशा में तेजी से आगे बढ़ रहे हैं।
दिल्ली मैट्रो की एयरपोर्ट एक्सप्रेस लाइन पर नेशनल कॉमन मॉबिलीट कार्ड की शुरुआत और ड्राइवरलेस मैट्रो की शुरुआत हुई। गुजरात के राजकोट में एम्स और ओडिशा में आईआईएम के स्थाई कैंपस की शुरुआत हुई।
देश के इंफ्रास्ट्रक्चर को आधुनिक बनाने के लिए चल रहे महायज्ञ ने आज एक नई गति हासिल की है। बीते 10-12 दिन की ही बात करें तो आधुनिक डिजिटल इंफ्रास्ट्रक्चर के माध्यम से किसानों के खातों में सीधे 18,000 करोड़ रुपये से ज्यादा ट्रांसफर किए गए हैं।