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भारत में अगले 15 साल के दौरान समुद्री नौवहन क्षेत्र में 82 अरब डालर यानी छह लाख करोड़ रुपये का निवेश किया जायेगा। बंदरगाहों में स्वच्छ ऊर्जा का उपयोग बढ़ाया जायेगा, जलमार्गों का विकास होगा और तटीय क्षेत्र स्थित लाइटहाउस को पर्यटन स्थल के तौर पर विकसित किया जायेगा। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने मंगलवार को यह कहा। समुद्री नौवहन क्षेत्र पर आयोजित शिखर सम्मेलन का उद्घाटन करते हुये प्रधानमंत्री ने भारतीय बंदरगाहों, जलपोत कारखानों और जलमार्गों में निवेश के लिये वैश्विक निवेशकों को आमंत्रित किया।

मोदी ने कहा कि सागरमाला परियोजना के तहत 574 से अधिक परियोजनाओं की पहचान की गई है। इन पर 82 अरब डालर यानी छह लाख करोड़ रुपये की लागत आने का अनुमान है। इन परियोजनाओं पर 2015 से 2035 के बीच काम पूरा किया जाना है। उन्होंने कहा कि सरकार अगले दस साल में 23 जलमार्गों को परिचालन में लाने पर काम कर रही है। ”हमारी सरकार जलमार्गों के क्षेत्र में इस तरह से काम कर रही है जैसा पहले कभी नहीं हुआ। घरेलू जलमार्गों को लागत के हिसाब से काफी प्रभावी और पर्यावरण के अनुकूल पाया गया है।”

प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत की तटीय सीमा के साथ 189 लाइट हाउस हैं इनमें से 78 लाइटहाउस को बड़े पर्यटन स्थल के तौर पर विकसित करने की योजना बनाई गई है। प्रकाशस्तंभ का समुद्री नौवहन क्षेत्र में विशेष महत्व होता है। ये प्रकाशस्तंभ समुद्र तट पर स्थित होते हैं और इनसे समुद्री जलपोतों को मार्गदर्शन में मदद मिलती है। उन्होंने कहा कि सरकार इसके साथ ही समुद्री नौवहन क्षेत्र में स्वच्छ अक्षय ऊर्जा के इसतेमाल को भी बढ़ावा दे रही है। ”हम देशभर में सभी प्रमुख बंदरगाहों पर सौर और पवन ऊर्जा आधारित विद्युत प्रणाली स्थापित करने की प्रक्रिया में हैं। हम 2030 तक सभी बंदरगाहों में इस्तेमाल होने वाली कुल बिजली में से 60 प्रतिशत से अधिक बिजली नवीनीकरण ऊर्जा से इस्तेमाल में लाने का उद्देश्य लेकर आगे बढ़ रहे हैं।” मोदी ने कहा कि भारतीय बंदरगाहों पर माल लेकर आने और जाने वाले जलयानों को अब अधिक प्रतीक्षा नहीं करनी पड़ती है।

उन्होंने कहा, ”भारत समुद्री नौवहन क्षेत्र में विकास को लेकर बहुत गंभीर है, इसके साथ ही भारत अब दुनिया की समुद्री अर्थव्यवस्था के क्षेत्र में एक प्रमुख ताकत के तौर पर उभर रहा है।” प्रधानमंत्री ने कहा कि सरकार घरेलू स्तर पर जहाजों के निर्माण और उनकी मरम्मत का बाजार विकसित करने पर भी ध्यान दे रही है। उन्होंने कहा कि घरेलू स्तर पर जलपोतों के निर्माण को बढ़ावा देने के लिये भारतीय शिपयार्ड के वास्ते एक वित्तीय सहायता नीति को मंजूरी दी गई है।

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