BHARAT VRITANT

म्यांमार में सैन्य तख्तापलट के खिलाफ लोगों का गुस्सा थमने का नाम नहीं ले रहा है। सैन्य सरकार के आंदोलन को कुचलने के प्रयासों के बावजूद हजारों लोग सड़कों पर उतर तख्तापलट के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे हैं। यही नहीं, पुलिस ने प्रदर्शनकारियों को खदेड़ने के लिए के लिए दंगा नियंत्रण हथियारों का इस्तेमाल कर रही है, जिससे कई लोगों को गंभीर चोटे आई है। पुलिस ने हवा में फायरिंग करने के साथ ही रबर की गोलियों का इस्तेमाल किया है। अबतक 100 से अदिक प्रदर्शन कारियों को गिरफ्तार किया गया है।

हालांकि उनकी गिरफ्तारी का कारण अभी स्पष्ट नहीं है। माना जा रहा है कि येविन ने इंटरनेट मीडिया अकाउंट से सैन्य नेतृत्व वाली सरकार के खिलाफ प्रदर्शन करने का आह्वान किया था, जिसके कारण उनकी गिरफ्तारी हुई है। चश्मदीदों के अनुसार, लोगों को खदेड़ने के लिए पुलिस ने हवा में गोलियां चलाई। म्यांमार के सबसे बड़े शहर यंगून में भी लोगों ने कफ्र्यू की परवाह किए बगैर सड़कों पर प्रदर्शन किया।

इधर, सैन्य सरकार के प्रमुख जनरल मिन आंग ने अपने पहले संबोधन में वादा किया कि वह नए सिरे से आम चुनाव कराएंगे। उन्होंने तख्तापलट को न्यायसंगत ठहराने के लिए गत नवंबर में हुए चुनाव में धांधली के आरोप लगाए। इस चुनाव में आंग सान की पार्टी नेशनल लीग फॉर डेमोक्रेसी बड़ी बहुमत के साथ जीती थी। हालांकि धांधली के आरोप साबित नहीं हुए हैं। म्यांमार की सेना गत एक फरवरी को एनएलडी सरकार को अपदस्थ कर सत्ता पर काबिज हो गई। देश की सर्वोच्च नेता आंग सान सू की समेत कई शीषर्ष नेताओं को हिरासत में ले लिया गया। इसके बाद से ही विरोध प्रदर्शनों का दौर जारी है।

अमेरिकी विदेश विभाग ने म्यांमार में लोकतांत्रिक तरीके से निर्वाचित सरकार को बहाल करने की मांग की और कहा कि अमेरिका इस एशियाई देश के निर्वाचित प्रतिनिधियों के साथ खड़ा है। इस बीच, संयुक्त राष्ट्र प्रमुख एंतोनियो गुतेरस ने एशियाई देशों के नेताओं से संपर्क साधना शुरू कर दिया है। वह चाहते हैं कि क्षेत्रीय देश सामूहिक और द्विपक्षीय आधार पर म्यांमार पर दबाव डालें, जिससे तख्तापलट को पलटा जा सके। न्यूजीलैंड ने तख्तापलट के विरोध में म्यांमार के साथ उच्च स्तरीय संबंध निलंबित कर दिए हैं। साथ ही म्यांमार के शीषर्ष सैन्य अधिकारियों की यात्रा पर प्रतिबंध लगा दिए हैं।

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