भ्रामक सूचनाओं और साइबर अपराध के खिलाफ भारत और अमेरिका सहित चार देशों का समूह मिलकर काम करेगा। इसके लिए इन देशों के समूह क्वाड के अंदर ही सिस्टम तैयार किया जाएगा। भारत, अमेरिका,ऑस्ट्रेलिया और जापान के बीच हुई विदेश मंत्री स्तर की बातचीत में गुरुवार को इस संबंध में सहमति बनी है। इन देशों ने आतंकवाद के साथ भ्रामक सूचनाओं के प्रसार और साइबर अपराध को बड़ी चुनौती माना है। सूत्रों के मुताबिक, बैठक में इस बात पर रजामंदी नजर आई कि भ्रामक सूचनाओं की वजह से बड़े पैमाने पर हिंसा को बढ़ावा दिया जा सकता है और ये लोकतांत्रिक व्यवस्था के लिए बड़ा खतरा है। साइबर माध्यम का दुरुपयोग आतंकी गुटों द्वारा किए जाने की चिंता भी बैठक में नजर आई।
भारत और अमेरिका कई अहम मसलों पर खुफिया सूचनाओं का आदान प्रदान करते हैं। लेकिन क्वाड के तहत इस ढांचे को विस्तार देते हुए इसमे मौजूदा वैश्विक चुनौतियों को भी शामिल किया जाएगा। भ्रामक सूचनाओं का स्रोत पता करना और उसका विश्लेषण करके दोषियों को चिन्हित करके उन्हें पकड़ने के लिए संबंधित देशो की एजेंसियां मिलकर काम करेंगी।
कई समूह जानबूझकर चुनी हुई सरकारों को अस्थिर करने के लिए भ्रामक सूचनाओं को प्रसारित करते है और इसके लिए दूसरे देशों की जमीन का इस्तेमाल किया जाता है। साइबर व सोशल मीडिया प्लेटफार्म के द्वारा गैरकानूनी गतिविधियां संचालित होती हैं। कई मामलों में भ्रामक सूचनाओं के पीछे राज्य प्रायोजित तंत्र होता है। भारत कश्मीर के मामले में पाकिस्तान द्वारा अपनाए जाने वाले इस तरह के हथकंडे का भुक्तभोगी है। सूत्रों ने कहा क्वाड देशों के बीच सुरक्षा से जुड़े तमाम बिंदुओं पर सहमति बनी है। दक्षिण चीन सागर और हिंद प्रशांत क्षेत्र में आतंकरोधी सहयोग और समुद्री सुरक्षा को लेकर भी सहयोग मजबूत होगा।