रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा है कि चीन के साथ चल रहे सीमा विवाद पर राजनयिक और सैन्य स्तर की बातचीत का अभी तक कोई उद्देश्य पूर्ण हल नहीं निकला है। अगर एलएसी पर यथास्थिति बरकरार रहती है तो फिर सैनिकों की संख्या में कमी नहीं की जा सकती। यह सही है कि भारत और चीन के बीच गतिरोध खत्म करने के लिए राजनयिक और सैन्य की बातचीत हो रही थी, लेकिन इसमें अभी तक कोई सफलता मिली नहीं है। अगले दौर में एक बार फिर सैन्य स्तर की बातचीत होगी।
देश की सुरक्षा के सवाल पर रक्षा मंत्री ने कहा, ”मैं पिछली सरकारों पर सवाल नहीं उठाना चाहता लेकिन मैं कह सकता हूंं कि जब से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कार्यभाल संभाला है, राष्ट्रीय सुरक्षा हमारी पहली प्राथमिकता रही है। हम अपने सुरक्षाबलों को ज्यादा से ज्यादा सुविधाएं उपलब्ध करवा रहे हैं।”
आतंकी गतिविधियों और साजिश के सवाल पर रक्षामंत्री ने खुलेआम पाकिस्तान को लताड़ लगाई उन्होंने कहा, ”पाकिस्तान जब से अस्तिव में आया है तब से कुछ ना कुछ नापाक हरकतें सीमा पर करता रहता है। जहां तक सीज़ फायर वायलेशन का सवला है वो 200, 250, 300, 400 बार करता रहता है। लेकिन हमारी सेना के जवान बराबर उसे मुंहतोड़ जवाब देते हैं। भारत के जवानों ने यह सिद्ध करके दिखा दिया है कि केवल इस पार से ही नहीं, आंकवाद का सफाया करने के लिए उस पार भी आतंकी ठिकानों को खत्म करने की जरूरत होगी तो भारत कर सकता है। भारत ऐसी कोई चीज बर्दाश्त नहीं कर सकता जो आत्म सम्मान को चोट पहुंचाती हो। सॉफ्ट होने का मतलब यह नहीं कि कोई भी हमारे गौरव पर हमला करेगा और चुपचाप देखते रहेंगे। भारत अपने गौरव को लेकर कभी समझौता नहीं करेगा।”
किसान आंदोलन और उस पर कनाडा के प्रधानमंत्री की टिप्पणी को लेकर रक्षा मंत्री ने नाराजगी जाहिर की उन्होंने कहा, ”मैं दुनिया के किसी भी प्रधानमंत्री से कहना चाहूंगा कि भारत के आंतरिक मामलों में बोलना बंद करें। भारत को किसी के हस्तक्षेप की जरूरत नहीं है। हम लोग आपस में बैठकर समस्याओं का समाधान करेंगे। यह भारत का आंतरिक मामला है दुनिया के किसी देश को भारत के आंतरिक मामलों में बोलने का हक नहीं है। भारत ऐसा वैसा देश नहीं है कि जो चाहे वो बोल दे।”