बिहार विधानसभा चुनाव में खराब प्रदर्शन के बाद फिर उभरा कांग्रेस का अंदरूनी घाव। रविवार को नेतृत्व के वफादार सलमान खुर्शीद ने सवाल उठाने वालों पर आरोप लगाया तो जवाब में वरिष्ठतम नेता गुलाम नबी आजाद ने कहा कि कांग्रेस जमीन से संपर्क खो चुकी है। यहां कोई भी पदाधिकारी बन जाता है और फिर लेटरहेड और विजिटिंग कार्ड छपवाकर संतुष्ट हो जाता है। तीन-चार महीने पहले उठी आवाज और विवाद के मुकाबले इस बार कांग्रेस में मामला थोड़ा गंभीर है। माहौल लगभग वैसा ही है क्योंकि पिछली बार की तरह ही इस बार भी पार्टी अध्यक्ष सोनिया गांधी बीमार हैं और दिल्ली से बाहर हैं। राहुल गांधी भी उनके साथ ही हैं। दिल्ली में उनके समर्थकों ने मोर्चा संभाल रखा है और वरिष्ठों को दूसरी पार्टी तक में जाने की नसीहत दे रहे हैं। लेकिन इस बार वरिष्ठ नेता चुप होने के बजाय लड़ाई को अंजाम तक ले जाना चाहते हैं। रोज किसी न किसी वरिष्ठ नेता का इस मसले पर सामने आना, इसी रणनीति का हिस्सा लगता है। बिहार नतीजों के बाद सबसे पहले कपिल सिब्बल और फिर पी चिदंबरम ने सवाल उठाया था।

रविवार को आजाद ने मोर्चा संभाला और कहा, ‘फाइव स्टार होटलों में बैठकर चुनाव नहीं जीते जाते हैं। यहां तो लोग टिकट मिलने के बाद फाइव स्टार में भी डीलक्स रूम ढूंढते हैं। जहां सड़कें खराब हों, वहां नहीं जाना चाहते।’ उन्होंने आगे कहा, ‘जिला अध्यक्ष, प्रदेश अध्यक्ष अगर चुनाव जीतकर बनता है, तो उसे अहमियत का अहसास होता है, लेकिन यहां तो कोई भी बन जाता है।’ वह यह याद दिलाने से भी नहीं चूके कि कांग्रेस 72 साल के अपने निम्नतम स्तर पर है और दो लोकसभा चुनावों के बाद पार्टी को नेता प्रतिपक्ष का पद तक नहीं मिल पाया। उन्होंने सीधे तौर पर गांधी परिवार को बिहार की हार के लिए जिम्मेदार नहीं माना। उन्होंने कहा कि कोविड के कारण वह बहुत कुछ कर भी नहीं सकते थे। लेकिन परोक्ष तौर पर तो निशाना नेतृत्व ही था।

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