पश्चिम बंगाल में चुनाव की तारीख नजदीक आ रही है और चुनाव दिलचस्प रुख लेता जा रहा है। बीजेपी और ममता के बीच सीधी जंग की तैयार होती जमीन पर हैदराबाद वाले असदु्ददीन ओवैसी पहुंच चुके हैं। ओवैसी का सियासी सितारा इन दिनों बुलंदी पर है और उसी बुलंदी के भरोसे वो ममता के गढ़ में अपनी ताकत आजमाने का एलान कर चुके हैं। इस वक्त पश्चिम बंगाल का एक चुनावी पांसा मुस्लिम राजनीति के चौसर पर फेंका जा रहा है। पहले तो इस लड़ाई में ममता बनर्जी की टीएमसी और बीजेपी ही थीं लेकिन अब नई एंट्री ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल-मुस्लिमीन यानी एआईएमआईएम के प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने ली है। रविवार को ओवैसी बंगाल गए और वहां से लौट भी आए लेकिन बंगाल के कई राजनीतिक धुरंधरों की नींद भी हराम कर आये। सत्तारूढ तृणमूल कांग्रेस कह रही है कि आते जाते रहते हैं ऐसे लोग लेकिन बीजेपी को लगता है कि ओवैसी जितना जोर लगाएंगे, बीजेपी उतना ही फायदे में रहेगी।

बीजेपी सांसद लॉकेट चटर्जी ने कहा, ”ओवैसी अब ममता को मात दे देंगे इसलिए ममता की धड़कनें बढ़ गई हैं, कुरैशी, सिद्दीकी औऱ खान से नहीं बनेगी सरकार। इस बार बीजेपी 200 सीटें जीतेगी”

बीजेपी काफी दिनों से ये नारा दे रही है कि अबकी पार दो सौ पार। पश्चिम बंगाल में विधानसभा की 292 सीटें हैं जिसमें 200 सीट जीतने का मतलब हुआ कि दो तिहाई सीटों के साथ प्रचंड जीत। इस मनसूबे को कामयाब करने के लिए बीजेपी ने बंगाल की पहचान से जुड़ी महान शख्सियतों से वास्ता जोड़ा लेकिन एक खटका बना रहा कि 28 फीसदी मुस्लिम वोट अगर ममता के पक्ष में रहे तो उसका क्या होगा। लेकिन ओवैसी ने बीजेपी की उम्मीदों को उड़ान भरने के लिए नए पंख दे दिए हैं। पश्चिम बंगाल में मुसलमानों की आबादी करीब 28 फीसदी है। वहां विधानसभा की 135 सीटें ऐसी हैं जहां मुस्लिम वोट 20 फीसदी से ज्यादा है। पिछली बार इन 135 में 90 सीटों पर टीएमसी जीती थी। अब अगर मुस्लिम वोट ममता, ओवैसी और कांग्रेस-लेफ्ट गठबंधन में बंट जाता है तो बीजेपी को लगता है कि उसका हिंदुत्व, राष्ट्रवाद और बांग्ला अस्मिता का नारा बंगाल विजय तक उसे पहुंचा देंगे।

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