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पश्चिम बंगाल में टीएमसी के 291 उम्मीदवारों की लिस्ट का सीएम ममता बनर्जी ने ऐलान कर दिया है। खुद सीएम ममता बनर्जी ने नंदीग्राम से चुनाव में उतरने का फैसला लिया है। ममता बनर्जी ने कहा कि उत्तर बंगाल की तीन सीटों पर टीएमसी अपने कैंडिडेट्स नहीं उतारेगी। इन उम्मीदवारों में 50 महिलाएं और 42 मुस्लिम उम्मीदवार हैं। इसके अलावा दलित समुदाय के 79 कैंडिडेट्स को मौका दिया गया है। इसके साथ ही ममता बनर्जी ने ऐलान किया है कि वह भवानीपुर से चुनाव नहीं लड़ेंगी। वह सिर्फ नंदीग्राम से ही चुनावी समर में होंगी। बीजेपी की ओर से उन पर दो सीटों से चुनाव लड़ने को लेकर निशाना साधते हुए कहा गया था कि वह डर के चलते दो सीटों से मैदान में उतरने वाली हैं। अपनी परंपरागत सीट भवानीपुर से उन्होंने शोभनदेव चटर्जी के चुनाव में उतरने का ऐलान किया। सीटों पर उम्मीदवारों के ऐलान के साथ ही ममता बनर्जी ने ‘खेला होबे’ का भी ऐलान किया।

ममता बनर्जी ने कहा कि हमने दार्जिलिंग में तीन सीटें सहयोगी दलों को देने का फैसला लिया है। पश्चिम बंगाल की सीएम ने कहा कि हमने 80 साल से अधिक आयु वाले लोगों को चुनाव में न उतारने का फैसला लिया है। उन्होंने बताया कि टीएमसी ने 28 मौजूदा विधायकों को इस बार टिकट नहीं दिया है। उम्मीदवारों का ऐलान करते हुए ममता बनर्जी ने बीजेपी पर जमकर निशाना साधा। इसके अलावा कांग्रेस और वामदलों पर भी बरसते हुए ममता ने कहा कि वे बीजेपी से कंधे से कंधा मिलाकर चुनाव लड़ रहे हैं।

मुर्शिदाबाद विधानसभा सीट से टीएमसी ने इदरिस अली को चुनावी समर में उतारा है। इसेक अलावा आसनसोल दक्षिण से सायोनी घोष, बेहाला पूरब से रत्ना चटर्जी, सिंगूर से बेचराम चन्ना, सिलीगुड़ी से ओमप्रकाश मिश्रा को मौका दिया गया है। क्रिकेटर मनोज तिवारी को हावड़ा की शिबपुर सीट से उतारा गया है। बैरकपुर से राज चक्रवर्ती, मंतेश्वर से सिदिकुल्लाह चौधरी, मेदिनीपुर से जून मल्लइया, राजरहाट से आदिति मुंशी को मौका दिया गया है। इसके अलावा चांदीपुर से सोहम, नॉर्थ दमदम से चंद्रिमा भट्टाचार्य, कमरहट्टी से मदन मित्रा, श्यामपुकुर से मंत्री शशि पांजा और विधान नगर से सुजीत बोस को टिकट दिया गया है। ममता बनर्जी ने अपने चुनावी कार्यक्रम की भी जानकारी देते हुए कहा कि वह 10 तारीख को नंदीग्राम में नामांकन दाखिल करेंगी और 11 तारीख को वहां चुनावी कार्यक्रमों में हिस्सा लेंगी। टीएमसी की मुखिया ने कहा कि पश्चिम बंगाल की पहचान को बनाए रखने के लिए संघर्ष कर रहे हैं।

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