राहुल गांधी और कांग्रेस पार्टी उन्हीं राज्यों में ज्यादा जोर लगा रही है, जहां वो सीधी लड़ाई में है. कांग्रेस सूत्रों का कहना है कि पार्टी का संगठन केरल और असम में अभी भी मजबूत है. असम में जहां इस बार कांग्रेस के सामने चेहरे का संकट है वहीं केरल में सभी को एकजुट रखना पार्टी के लिए बड़ी चुनौती है.
डीएमके इस बार कांग्रेस को ज्यादा सीट देने की मूड में नहीं है. जबकि पिछले विधानसभा चुनाव में कांग्रेस 41 सीट पर चुनाव लड़ी थी. इस बार डीएमके कांग्रेस को 25 से अधिक सीट नहीं देना चाहती और यही वजह है कि कांग्रेस डीएमके पर दबाव बनाने के लिए राहुल गांधी की ज्यादा से ज्यादा रैली और सम्मेलन तमिलनाडु में करवा रही है.
कांग्रेस सूत्रों ने ये भी बताया कि अगर डीएमके कांग्रेस को सम्मानजनक सीटें नहीं देती है तो पार्टी अलग चुनाव लड़ने पर भी विचार कर सकती है. बंगाल में भी करीब कुछ यही हालत है. गठबंधन की घोषणा होने के बाद भी कांग्रेस-लेफ्ट के बीच सीटों पर अभी तक सहमति नहीं बन पाई है और वहीं राहुल गांधी के पश्चिम बंगाल में लेफ्ट के साथ चुनाव प्रचार को लेकर अभी भी तस्वीर साफ नहीं है.