कर्नाटक के मुख्यमंत्री पद से हटाए जाने का संकेत देते हुए बीएस येदियुरप्पा ने इस संबंध में लगाई जा रही अटकलों पर पहली बार गुरूवार को चुप्पी तोड़ी और कहा की वह बीजेपी के केंद्रीय नेतृत्व के फैसले का पालन करेंगे। उन्होंने कहा की पार्टी आलाकमान कर्नाटक के मुख्यमंत्री के तौर पर ऊके भविष्य के बारे में 25 जुलाई को उन्हें निर्देश देगा। येदियुरप्पा सरकार के 26 जुलाई को 2 साल पूरे हो जाएंगे।
उन्होंने आगे कहा की ‘ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, गृह मंत्री अमित शाह और हमारे राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा का मेरे प्रति विशेष स्नेह एवं विश्वास है। आप जानते हैं कि उन लोगों को कोई पद नहीं दिया जाता जिनकी उम्र 75 साल से अधिक हो गई है लेकिन मेरे काम की सराहना करते हुए उन्होंने 78 वर्ष की आयु होने के बावजूद मुझे मौका दिया।’ येदियुरप्पा ने कहा कि उनका इरादा आने वाले दिनों में पार्टी को मजबूत करना और उसे फिर से सत्ता में लाना है। केंद्रीय नेता 25 जुलाई को मुझे जो भी निर्देश देंगे, उनके आधार पर मैं 26 जुलाई से अपना काम शुरू करूंगा। हमारी सरकार के दो साल पूरे होने के सिलसिले में 26 जुलाई को हमारा एक खास कार्यक्रम है। कार्यक्रम में शामिल होने के बाद मैं राष्ट्रीय अध्यक्ष के निर्देशों का पालन करूंगा।’
ऐसा माना जा रहा है कि बीजेपी राज्य के नेतृत्व में एक पीढ़ीगत बदलाव और सत्ता के सुचारू परिवर्तन की उम्मीद कर रही है, लेकिन राज्य में पार्टी के लिए निर्विवादित जन नेता खोजना कभी आसान नहीं होगा। बीजेपी को इस नेतृत्व परिवर्तन को प्रभावित करते हुए संतुलन भी बनाना होगा, क्योंकि उसे यह देखना होगा कि यह कदम उसके मूल वोट आधार प्रमुख वीरशैव-लिंगायत समुदाय का विरोध नहीं करता हो, जिस पर येदियुरप्पा का काफी प्रभाव है।
वीरशैव-लिंगायत समुदाय के राज्य की आबादी का लगभग 16 फीसदी होने का अनुमान है। इसे राज्य में बीजेपी का मुख्य समर्थन आधार माना जाता है और कथित तौर पर येदियुरप्पा को हटाने का काफी हद तक विरोध किया जाता है। कुछ खबरें हैं कि पार्टी मुख्यमंत्री पद के लिए एक आश्चर्यजनक उम्मीदवार का नाम ले सकती है जैसा कि उन्होंने अन्य राज्यों में प्रयोग किया है।