उत्तर प्रदेश विधान परिषद के 12 सदस्यों का कार्यकाल 31 जनवरी को समाप्त हो रहा है। इसलिए भारतीय जनता पार्टी का पूरा ध्यान प्रदेश में होने वाले विधान परिषद के चुनावों पर है। आंकड़ों के आधार पर कह सकते हैं कि भाजपा विधान परिषद की बारह सीटों पर होने वाले चुनाव में कम से कम दस सीटें हासिल करेंगी। अगर बहुजन समाज पार्टी भी भाजपा का समर्थन करे, तो एक और सीट भाजपा के खाते में जाएगी। हालांकि निवार्चन आयोग ने अब तक चुनाव की तारीखों का ऐलान नहीं किया है। प्रदेश अध्यक्ष स्वतंत्र देव सिंह तथा उप-मुख्यमंत्री दिनेश शर्मा समेत कई दिग्गजों का कार्यकाल 31 जनवरी को समाप्त हो रहा है।
इस सिलसिले में भाजपा प्रदेश चुनाव समिति की सोमवार को बैठक संपन्न हुई। बैठक में उम्मीदवारों के नाम पर विचार किया गया। कई प्रत्याशियों के नामों को लेकर गहन मंथन हुई। चुने हुए उम्मीदवारों के नाम केंद्रीय संसदीय बोर्ड के समक्ष प्रस्तुत किए जायेंगे। इसकी जिम्मेदारी पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष स्वतंत्र देव सिंह को सौंपी गई है। विधान परिषद के जिन 12 सदस्यों का कार्यकाल 31 जनवरी को खत्म हो रहा है, उनमें समाजवादी पाटीर् के छह, भाजपा के तीन और बसपा के तीन हैं। नसीमुद्दीन सिद्दीकी के कांग्रेस में जाने से उनकी सदस्यता दलबदल कानून के तहत पहले ही खत्म कर दी गई थी।
भाजपा के जिन तीन सदस्यों का कार्यकाल खत्म हो रहा है, उनमें प्रदेश अध्यक्ष स्वतंत्र देव सिंह तथा उप-मुख्यमंत्री दिनेश शर्मा भी शामिल हैं। भाजपा के खाते में दस और सपा के खाते में एक सीट जाना तय है। पर अगर बहुजन समाज पार्टी भाजपा को समर्थन दे, तो भाजपा के खाते में 11 सीटें आएंगी। विधानसभा में बसपा के 19 सदस्य होने के बावजूद राज्यसभा चुनाव में बसपा के एक उम्मीदवार की जीत हुई थी। भाजपा ने अपना एक और उम्मीदवार खड़ा कर बसपा की मुसीबत नहीं बढ़ाई थी। पर आखिरी क्षणों में समाजवादी पार्टी ने अपना एक उम्मीदवार उतार कर समीकरण बिगाड़ दिया था।
बसपा प्रमुख मायावती इस वजह से काफी खफा हुई थीं। पर सपा के उम्मीदवार का नामांकन रद्द हो गया था। इस वजह से बसपा के प्रत्याशी की जीत हुई थी। तब मायावती ने कहा था कि बसपा विधान परिषद चुनाव में सपा को हराने के लिये भाजपा की मदद करने से भी पीछे नहीं हटेगी। अगर मायावती अपने इस कथन पर कायम रहती हैं, तो भाजपा की झोली में 11वीं सीट भी आ जाएगी। सोमवार को भाजपा की चुनाव समिति की बैठक में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, उपमुख्यमंत्री दिनेश शर्मा और केशव प्रसाद मौर्य, प्रदेश अध्यक्ष स्वतंत्र देव सिंह, पार्टी के उत्तर प्रदेश मामले के प्रभारी राधा मोहन सिंह और महासचिव अरूण सिंह शामिल रहे।