Uttar Pradesh News मिर्जापुर के मझवां विधानसभा क्षेत्र में उपचुनाव की सरगर्मी चरम पर है। भाजपा ने अपने शीर्ष नेताओं की फौज झोंक दी है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने दो जनसभाएं कीं, जबकि डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य और ब्रजेश पाठक ने भी मतदाताओं को साधने के लिए कई रैलियां कीं। केंद्रीय मंत्री अनुप्रिया पटेल समेत अन्य नेताओं ने भी क्षेत्र में चुनावी माहौल को भाजपा के पक्ष में करने की कोशिश की।
सपा का जातीय समीकरण पर दांव
समाजवादी पार्टी (सपा) ने जातीय गोलबंदी को केंद्र में रखकर प्रचार अभियान चलाया। अखिलेश यादव ने एक रैली की, जबकि कई अन्य सांसद और विधायक लगातार जनसंपर्क में जुटे रहे। सपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष ने रोजगार और सामाजिक न्याय को मुख्य मुद्दा बनाकर वोटरों से समर्थन मांगा।
बसपा की रणनीति: ब्राह्मण वोट बैंक पर नजर
बहुजन समाज पार्टी (बसपा) ने ब्राह्मण मतदाताओं को साधने के लिए दीपक तिवारी को मैदान में उतारा है। हालांकि, मायावती और अन्य प्रमुख नेताओं की गैरमौजूदगी को लेकर चर्चा गरम है। स्थानीय लोग मानते हैं कि अगर मायावती ने एक जनसभा भी की होती, तो मुकाबला और कड़ा हो सकता था।
चुनावी चर्चाओं में विकास और रोजगार मुख्य मुद्दे
विकास पर केंद्रित उम्मीदें
मझवां में मतदाता स्थानीय विकास कार्यों जैसे सड़क चौड़ीकरण, फुटबॉल और क्रिकेट मैदानों की मरम्मत जैसे मुद्दों को प्राथमिकता दे रहे हैं। स्थानीय लोगों का मानना है कि भाजपा की सरकार होने के कारण विकास कार्यों को आगे बढ़ाने की संभावना अधिक है।
बेरोजगारी और नौकरी में पारदर्शिता की मांग
छात्रों और युवाओं के बीच रोजगार व्यवस्था और नौकरी में पारदर्शिता का मुद्दा बड़ा सवाल बना हुआ है। स्नातक छात्र आदेश ने सरकार से नौकरी प्रक्रिया को पारदर्शी बनाने और रोजगार अवसर बढ़ाने की मांग की।
बड़े नेताओं की चुनावी भागीदारी
- भाजपा: मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य और ब्रजेश पाठक ने प्रमुख जनसभाएं कीं।
- सपा: अखिलेश यादव समेत तीन सांसदों ने प्रचार किया।
- बसपा: दीपक तिवारी को प्रत्याशी बनाकर ब्राह्मण वोट साधने की कोशिश, लेकिन प्रमुख नेताओं की कमी महसूस हुई।
प्रमुख उम्मीदवार
- भाजपा: शुचिष्मिता मौर्य
- सपा: डॉ. ज्योति बिंद
- बसपा: दीपक तिवारी
अब बारी मतदाताओं की है। उपचुनाव का नतीजा जातीय समीकरण, विकास के वादों और स्थानीय मुद्दों पर निर्भर करेगा।