दिल्ली की सीमाओं पर डटे किसानों के आंदोलन का आज 20वां दिन है। किसानों और सरकार के बीच कृषि कानून के मुद्दे पर गतिरोध बरकरार है। किसान आज आंदोलन की आगे की रणनीति तय करेंगे, इसके लिए आज किसान नेताओं की अहम बैठक होनी है। इस बीच केंद्र सरकार की ओर से साफ किया गया है कि किसानों से बातचीत का विकल्प अब भी खुला है। कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा, ‘बैठक निश्चित रूप से होगी। हम किसानों के साथ संपर्क में हैं।’ उन्होंने कहा कि सरकार किसी भी समय बातचीत के लिए तैयार है। किसान नेताओं को तय करके बताना है कि वे अगली बैठक के लिए कब तैयार हैं।प्रदर्शनकारी किसानों की 40 यूनियनों के प्रतिनिधियों के साथ सरकार की बातचीत की अगुवाई तोमर कर रहे हैं। इसमें उनके साथ केंद्रीय वाणिज्य और उद्योग तथा खाद्य मंत्री पीयूष गोयल तथा वाणिज्य और उद्योग राज्यमंत्री सोम प्रकाश शामिल हैं। केंद्र और किसान नेताओं के बीच अब तक हुई पांच दौर की वार्ताएं बेनतीजा रही हैं।

कुछ घंटे बाद अखिल भारतीय किसान संघर्ष समिति ने कहा कि वह कुछ शर्तों के साथ फिर से बातचीत के लिए तैयार है। पंजाब के ज्यादातर किसान तीन कानूनों को पूरी तरह से निरस्त करने का दबाव बना रहे हैं। उनका कहना है कि फिर से बातचीत शुरू करने के लिए तीन आश्वासनों की जरूरत है। पहली- बातचीत पुराने प्रस्तावों पर नहीं हो सकती है, जिसे कृषि संघ पहले ही खारिज कर चुके हैं। दूसरी- सरकार को एक नया एजेंडा तैयार करना चाहिए और तीसरा- बातचीत कृषि कानूनों को निरस्त करने पर केंद्रित होनी चाहिए।

एक ओर जहां दिल्ली बॉर्डर पर कृषि कानून विरोधी नेता आंदोलन कर रहे हैं। वहीं दूसरी ओर कृषि कानूनों के समर्थक किसान नेताओं से सरकार की लगातार मुलाकात जारी है। सूत्रों के मुताबिक सरकार की रणनीति है कि दिल्ली का आंदोलन देश के बाकी हिस्सों में ना फैले। हरियाणा और उत्तराखंड के किसानों के बाद यूपी, केरल, बिहार समेत कई राज्यों के किसानों ने सरकार से मुलाकात करके कृषि बिल को अपना समर्थन देने की बात कही है।

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