प्रदेश सरकार बिजली महंगी करने के बारे में विचार कर रही है. यह फैसला नगर निगमों की आर्थिक रूप से खस्ता हालत को देखते हुए किया जा रहा है. इस बारे में मंथन करके अर्बन लोकल बॉडीज डिपार्टमेंट ने बारे में प्रस्ताव बना कर आगे भेज दिया है.

विभागीय मंत्रियों द्वारा इस हेतु सहमति मिल गयी है अतः अब यह प्रस्ताव मुख्यमंत्री की संस्तुति के लिए भेजा गया है. विभाग की ओर से भेजे गए प्रस्ताव में मुख्य रूप से नगर निगम टैक्स पर फैसला लिया जाना है. क्योंकि अब इस प्रस्ताव में बिजली बिल पर लगने वाला नगर निगम टैक्स को 2 प्रतिशत के बजाय तीन प्रतिशत तक बढ़ाने की सिफारिश की गई है.

बिजली नियामक आयोग को नहीं अधिकार
चूंकि नगर निगम टैक्स सरकार द्वारा ही आरोपित किया जाता है इसलिए बिजली नियामक आयोग को इस बारे में फैसला लेने का कोई अधिकार नहीं है इसलिए अब यह फैसला भी सरकार को ही लेना है कि टैक्स को बढ़ाया जाए या नहीं.

छोटे नगर निगमों का खर्च अधिक,अदायगी कम
वर्तमान में नगर निगम अपने अधीन आने वाले सभी क्षेत्राेसे प्रापर्टी टैक्स व अन्य टैक्सों की वसूली करता है परन्तु नगर निगमों का ढांचा अधिक विस्तृत होने के कारण इन करों से निगमों का खर्च चल पाना संभव नहीं हो पा रहा है .इसलिए यह टैक्स बढ़ाने पर विचार किया जा रहा है.

वर्तमान में प्रदेश में दस नगर निगम हैं,जिनमें गुरुग्राम व फरीदाबाद बड़े ओद्योगिक क्षेत्र होने के कारण आर्थिक रूप से सक्षम हैं परन्तु अन्य 8 नगर निगम जिनमें पानीपत-सोनीपत करनाल, यमुनानगर, हिसार, रोहतक, अंबाला व पंचकूला शामिल हैं,इन सबका ख़र्च वर्तमान करों की अदायगी से सम्भव नही हो पा रहा है इसलिए यह बढ़ाने पर मंथन किया जा रहा है.इसलिए अब अंतिम फैसला सरकार के हाथ मे है

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