किसानों के लिए एक और बड़ा कदम उठाते हुए आज पीएम मोदी ने 100वीं किसान रेल को हरी झंडी दिखा दी है। यह ट्रेन महाराष्ट्र के संगोला से पश्चिम बंगाल के शालीमार तक के लिए चलाई जा रही है। अब तक की 99 किसान रेल 14 राज्यों में चली हैं। कोरोना काल में कृषि उत्पादों की ढुलाई में किसानों को होने वाली परेशानी से किसानों को राहत देने के लिए किसान रेल चलाई थी, जिससे अब कृषि उत्पाद काफी सुगमता से देश के एक हिस्से से दूसरे हिस्से में पहुंच रही है।

पीएम मोदी ने इस ट्रेन को हरी झंडी देकर कहा कि यह किसानों की आमदनी बढ़ाने की दिशा में बड़ा कदम है। इससे देश के 80 फीसदी से अधिक छोटे और सीमांत किसानों को बड़ी शक्ति मिली है। कोल्ड स्टोरेज चेन के लिए भी यह मजबूती देने वाला कदम साबित होगा। किसी किसान के लिए कोई सीमा तय नहीं है। उत्पाद कम हो या ज्यादा, सब सही समय पर पहुंच सकेगा। महज 3 किलो अनार का पैकेट भी ट्रेन से भेजे गए। मुर्गी के 17 दर्जन अंडे भी इससे भेजे गए हैं। किसान रेल के जरिए छोटे किसानों को भी बड़ा बाजार दिया जा रहा है। पहले किसान रेल साप्ताहिक थी, लेकिन अब इस ट्रेन को सप्ताह में 3 दिन चलाया जा रहा है। बेहद कम समय में 100वीं किसान रेल चलना ये साफ करता है कि इससे किसानों को फायदा हो रहा है।

टमाटर की कीमत जब बहुत कम हो जाती है तो किसान परेशान हो जाता है। किसान अपनी मेहनत को अपनी आंखों के सामने बर्बाद होते देखता है। किसान रेल की सुविधा के बाद उसे एक विकल्प मिला है और वह अपनी उपज देश के उन हिस्सों तक पहुंचा सकता है, जहां पर टमाटर की मांग ज्यादा है और जहां उसे बेहतर कीमत मिल सकती है। फलों और सब्जियों के ट्रांसपोर्ट का फायदा ले सकता है।

इस रूट पर रेल का मालभाड़ा ट्रक के मुकाबले करीब 1700 रुपये कम है। किसान रेल में सरकार 50 फीसदी तक छूट भी दे रही है, जिससे फायदा हो रहा है। किसान रेल से कैश क्रॉप जैसी फसलों को उगाने के लिए प्रोत्साहन मिलेगा। आज पश्चिम बंगाल का किसान भी इस सुविधा से जुड़ा है। अब वहां के किसानों को आलू, कटहल, बैंगन, अनानास, लीची, आम, केला, मछली जैसे उत्पादों को देश के तमाम बाजारों तक पहुंचाने का विकल्प मिला है। किसानों को बेहतर जीवन देने के लिए और गांव में अधिक रोजगार पैदा करने के लिए एक के बाद एक कृषि सुधार किए जा रहे हैं, किसान रेल भी इनमें से एक है।

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