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ज्योतिष्पीठाधीश्वर एवं द्वारका शारदापीठाधीश्वर जगद्गुरु शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती के ब्रह्मलीन होने के बाद उत्तराधिकारी तय हो गए हैं। स्वामी स्वरूपानंद दो पीठों ज्योतिष पीठ और द्वारकाशारदा पीठ के शंकराचार्य थे। ज्यातिष पीठ बद्रीनाथ पर उनके शिष्य काशी के स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती को नया शंकराचार्य घोषित किया गया है।

उत्तर प्रदेश के प्रतापगढ़ में जन्मे स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद जगद्गुरु शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती के शिष्य हैं। जानकारी के मुताबिक, स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद का मूलनाम उमाशंकर है। प्रतापगढ़ में प्राथमिक शिक्षा के बाद वे गुजरात चले गए थे। धर्मसम्राट स्वामी करपात्री जी महाराज के शिष्य पूज्य ब्रह्मचारी श्री रामचैतन्य जी के सान्निध्य और प्रेरणा से संस्कृत शिक्षा आरंभ हुई।