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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी शुक्रवार को विश्व भारती के दीक्षांत समारोह में डिजिटल तरीके से शामिल हुए. प्रधानमंत्री पश्चिम बंगाल के बीरभूम जिले में स्थित इस विश्वविद्यालय के कुलाधिपति हैं. केंद्रीय शिक्षा मंत्री रमेश पोखरियाल ‘निशंक’ और पश्चिम बंगाल के राज्यपाल जगदीप धनखड़ दीक्षांत समारोह में शामिल हुए. राज्यपाल विश्वभारती के ‘रेक्टर’ भी हैं. दीक्षांत समारोह सुबह 9.30 बजे शांति निकेतन परिसर के आम्र कुंज में शुरू हुआ. इस दौरान एक संबोधन में पीएम ने कहा कि इस दीक्षांत समारोह में भाग लेना प्रेरणादायक और आनंदमय है. अच्छा होता अगर मैं व्यक्तिगत रूप से आज समारोह में हिस्सा लेने के लिए आता लेकिन नए नियमों के कारण मैं इस कार्यक्रम में वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से भाग ले रहा हूं.

पीएम ने कहा, ‘गुरुदेव रवींद्रनाथ टैगोर ने जो अद्भुत धरोहर मां भारती को सौंपी हैं, उसका हिस्सा बनना, आप सभी साथियों से जुड़ना, मेरे लिए प्रेरक भी है और आनंददायक भी है. इस बार तो कुछ समय के अंतराल पर मुझे दूसरी बार ये मौका मिला है. आपके जीवन के इस महत्वपूर्ण अवसर पर आप सभी युवा साथियों को, माता पिता को और गुरुजनों को मैं बहुत बहुत बधाई और अनेक अनेक शुभकामनाएं देता हूं.’

प्रधानमंत्री ने कहा, ‘आप सिर्फ एक विश्वविद्यालय का ही हिस्सा नहीं हैं, बल्कि एक जीवंत परंपरा का हिस्सा भी हैं. गुरुदेव अगर विश्व भारती को सिर्फ एक यूनिवर्सिटी के रूप में देखना चाहते, तो वो इसे ग्लोबल यूनिवर्सिटी या कोई और नाम दे सकते थे, लेकिन उन्होंने इसे विश्व भारती विश्वविद्यालय नाम दिया.’ पीएम ने कहा कि गुरुदेव टैगोर के लिए विश्व भारती सिर्फ ज्ञान देने वाली एक संस्था मात्र नहीं थी. ये एक प्रयास है भारतीय संस्कृति के शीर्षस्थ लक्ष्य तक पहुंचने का.

पीएम ने कहा, ‘गुरुदेव कहते थे – हे श्रमिक साथियों, जानकार साथियों, हे समाजसेवियों, हे संतों, समाज के सभी जागरूक साथियों. आइये समाज की मुक्ति के लिए मिलकर प्रयास करें.’ प्रधानमंत्री ने कहा, ‘जिस प्रकार सत्ता में रहते हुए संयम और संवेदनशील रहना पड़ता है, रहना जरूरी होता है, उसी प्रकार हर विद्वान को, हर जानकार को भी उनके प्रति जिम्मेदार रहना पड़ता है जिनके पास वो शक्ति है. आपका ज्ञान सिर्फ आपका नहीं, बल्कि समाज की, देश की हर एक भावी पीढ़ियों की भी वो धरोहर है. आपका ज्ञान अपकी स्किल एक समाज, एक राष्ट्र को गौरवान्वित भी कर सकती है.’

पीएम ने कहा, ‘सफलता और असफलता हमारा वर्तमान और भविष्य तय नहीं करती. हो सकता है आपको किसी फैसले के बाद जैसा सोचा था वैसा परिणाम न मिले, लेकिन आपको फैसला लेने में डरना नहीं चाहिए.’

पीएम ने कहा, ‘भारत की आत्मनिर्भरता, देश की बेटियों के आत्मविश्वास के बिना संभव नहीं है. नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति में पहली बार जेंडर इंक्लूजन फंड की भी व्यवस्था की गई है. बंगाल ने अतीत में भारत के समृद्ध ज्ञान-विज्ञान को आगे बढ़ाने में देश को नेतृत्व दिया. बंगाल, एक भारत, श्रेष्ठ भारत की प्रेरणा स्थली भी रहा है और कर्मस्थली भी रहा है. हम इस वर्ष अपनी आजादी के 75वें वर्ष में प्रवेश कर रहे हैं. विश्व भारती के प्रत्येक विद्यार्थी की तरफ से देश को सबसे बड़ा उपहार होगा कि भारत की छवि को और निखारने के लिए आप ज्यादा से ज्यादा लोगों को जागरूक करें.’

प्रधानमंत्री ने कहा, ‘भारत जो है, जो मानवता, जो आत्मीयता, जो विश्व कल्याण की भावना हमारे रक्त के कण-कण में है, उसका एहसास बाकी देशों को कराने के लिए विश्व भारती को देश की शिक्षा संस्थाओं का नेतृत्व करना चाहिए. मेरा आग्रह है, अगले 25 वर्षों के लिए विश्व भारती के विद्यार्थी मिलकर एक विजन डॉक्यूमेंट बनाएं. वर्ष 2047 में, जब भारत अपनी आजादी के 100 वर्ष का समारोह मनाएगा, तब तक विश्व भारती के 25 सबसे बड़े लक्ष्य क्या होंगे, ये इस विजन डॉक्यूमेंट में रखे जा सकते हैं.’

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