सुप्रीम कोर्ट से गुरुवार को कर्नाटक बीजेपी के एमएलसी एएच विश्वनाथ को बड़ा झटका लगा है. गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट ने कर्नाटक हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ एएच विश्वनाथ की उस याचिका को खारिज कर दिया, जिसमें कहा गया कि वो दलबदल विरोधी कानून के तहत योग्य हैं. सीजेआई ने याचिका को खारिज करते हुए कहा कि एएच विश्वनाथ मंत्री के रूप में नियुक्त होने के हकदार नहीं हैं. इससे पहले पिछले साल 30 नवंबर को कर्नाटक हाईकोर्ट ने बीजेपी के एमएलसी एएच विश्वनाथ को को बड़ा झटका देते हुए कहा था कि दल-बदल कानून के तहत सदन की सदस्यता के लिए अयोग्य ठहराए गए एमएलसी को मंत्री नहीं बनाया जा सकता. मुख्य न्यायाधीश अभय श्रीनिवास ओक और न्यायमूर्ति एस विश्वजीत शेट्टी की खंड पीठ ने वकील एएस हरीश की याचिका पर सुनवाई करते हुए आदेश दिया.
वकील ने अपनी अर्जी में कहा था कि विश्वनाथ को संविधान के अनुच्छेद 164(1)(बी) और अनुच्छेद 361(बी) के तहत मई-2021 में विधान परिषद का कार्यकाल समाप्त होने तक अयोग्य घोषित किया गया है. वहीं अन्य दो विधान पार्षदों आर शंकर और नागराज को कोर्ट से राहत मिल गई थी.
कोर्ट ने कहा कि दोनों के विधान परिषद में निर्वाचित होने के कारण उनकी अयोग्यता अब लागू नहीं होगी. अर्जी पर सुनवाई करते हुए पीठ ने कहा कि पहली नजर में ये तय नहीं होता है कि आर शंकर और एन नागराज अनुच्छेद 164(1)(बी) और अनुच्छेद 361(बी) के तहत अयोग्य घोषित किए गए हैं. हम मानते हैं कि एएच विश्वनाथ अनुच्छेद 164(1)(बी) और अनुच्छेद 361(बी) के तहत अयोग्य घोषित किए गए हैं. पीठ ने कहा कि मुख्यमंत्री को विश्वनाथ को अयोग्य ठहराए जाने के तथ्य को ध्यान में रखना होगा. कोर्ट ने कहा कि मुख्यमंत्री की ओर से सिफारिश किए जाने की स्थिति में राज्यपाल को विश्वनाथ को अयोग्य घोषित किए जाने के तथ्य पर विचार करना होगा. आवेदक वकील ने आरोप लगाया है कि विश्वनाथ, शंकर और नागराज को पिछले दरवाजे से विधान परिषद में प्रवेश दिया गया है ताकि उन्हें मंत्रिपरिषद में शामिल किया जा सके जबकि विश्वनाथ और नागराज अयोग्य घोषित किए जाने के बाद से अपनी-अपनी सीटों से उपचुनाव में हार गए थे.