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शहीदों की मजारों पर लगेंगे हर बरस मेले, वतन पर मरने वालों का यही बाकी निशां होगा. 100 साल बाद एक बार फिर शहीदों की मजारों पर मेला लगने जा रहा है. दुनिया एक बार फिर चौरी चौरा के शहीदों के बलिदानी को याद करेगी. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी वर्चुअल माध्‍यम से जुड़कर 4 फरवरी को वर्ष भर चलने वाले शताब्‍दी महोत्‍सव का शुभारंभ करेंगे. इस दौरान पीएम चौरी चौरा पर डाक टिकट भी जारी करेंगे. वहीं, मुख्‍यमंत्री योगी आदित्‍यनाथ और राज्‍यपाल आनंदीबेन पटेल वर्चुअल माध्‍यम से इस ऐतिहासिक पल के साक्षी बनेंगे.

गोरखपुर शहर से 26.3 किलोमीटर पूरब में स्थित ऐतिहासिक स्‍थल चौरी चौरा 4 फरवरी 1922 को हुए जनआंदोलन के लिए याद किया जाता है. इस जनआंदोलन में जहां पुलिसवालों की गोली का शिकार हुए क्रांतिकारियों को अपनी जान गंवानी पड़ी. तो वहीं भीड़ के गुस्‍से का शिकार हुए 21 पुलिसवालों को थाने में जिंदा जला दिया गया था. इस जनआंदोलन में 19 क्रांतिकारियों को फांसी की सजा दी गई थी. 4 फरवरी 2021 को वर्ष भर चलने वाले चौरी चौरा शताब्‍दी वर्ष समारोह का शुभारंभ होने जा रहा है. कार्यक्रम के दौरान एक साथ 30 हजार लोग ‘वंदे मातरम’ बोलेंगे, जो अपने आप में एक रिकॉर्ड होगा.

शताब्दी समारोह की तैयारी को लेकर कमिश्नर, डीएम, आईजी, सीडीओ, एसडीएम ने सभा स्थल, बैरिकेडिंग, टेंट व्यवस्था का निरीक्षण किया. कमिश्नर ने नगर पंचायत चेयरमैन प्रतिनिधि को बाजार में हर घर पर तिरंगा झंडा लगवाने का निर्देश दिया है. सभा स्थल पर पांच हजार कुर्सियां लगेंगी. मंच बनकर तैयार हो गया है. सभा स्थल के पास स्टॉल लगाए जाएंगे. शताब्दी वर्ष की शुरुआत सुबह 8:30 से 10 बजे तक प्रभात फेरी निकाल कर की जाएगी. प्रभात फेरी में माध्यमिक विद्यालय के बच्चों के अलावा स्काउट्स गाइड, एनसीसी और एनएसएस के पांच सौ बच्चे शामिल किए जाएंगे.

चौरी चौरा जनआंदोलन के 100 साल पूरे होने के अवसर पर आयोजित होने वाले समोराह को यादगार बनाने की तैयारी चल रही है. गोरखपुर जिला प्रशासन ने महोत्सव में एक विश्व रिकॉर्ड बनाने का भी निर्णय लिया है. यह रिकॉर्ड निर्धारित समय में करीब 30 हजार लोगों की तरफ से ‘वंदे मातरम’ बोलने का होगा. निर्धारित समय सीमा में अब तक 20 हजार लोगों की तरफ से ‘वंदे मातरम’ बोलने का रिकॉर्ड पहले ही है. प्रशासन ने इस बार 30 हजार से अधिक लोगों को इस मुहिम में शामिल करने की योजना बनाई है.

मंडलायुक्‍त जयंत नार्लिकर ने बताया कि चौरी चौरा शताब्‍दी वर्ष समारोह की तैयारियां लगभग पूरी हो चुकी हैं. सभी विभागों को उनकी जिम्मेदारियां बांट दी गई हैं. कोई कसर न रह जाए, इसलिए लगातार निरीक्षण चल रहा है. आयोजन बहुत ही भव्य होगा. चौरी चौरा शताब्दी वर्ष के आयोजन से यूपी में आगरा, वाराणसी के बाद गोरखपुर में पर्यटकों की संख्या बढ़ेगी साथ ही युवाओं को रोजगार भी मिलेगा. गोरखपुर के चौरी चौरा में यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने 4 फरवरी से शताब्दी वर्ष मनाने का एलान किया है.

शहीद स्मारक की दीवारों पर चौरी चौरा जन आंदोलनकारियों के तस्वीरों को उकेरा जा रहा है. संग्रहालय में लगी मूर्तियों पर दोबारा डेंटिंग-पेंटिंग की जा रही है. रेलवे स्टेशन और शहीद स्मारक के बीच बहुत बड़े मंच को तैयार किया गया है. चौरी चौरा की सभी सड़कों, नालियों और सरकारी आवासों दफ्तरों की साफ-सफाई की जा रही है. पर्यटन विभाग पूरे गोरखपुर में पर्याप्त बजट के अनुसार कार्य कर रहा है.

चौरी चौरा के स्‍थानीय बीजेपी नेता दीपक जायसवाल कहते हैं कि हजारों की संख्या में लोग अभी से आना शरू हो गए हैं. 4 फरवरी के बाद से ये संख्या और बढ़ेगी. आजादी की लड़ाई में चौरी चौरा के शहीदों ने जो बलिदान दिया था उसे समझने, जानने और नमन करने के लिए लोग जरूर आएंगे. स्‍थानीय नागरिक चन्द्र प्रकाश नन्‍हे कहते हैं कि सीएम योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में पूरे वर्ष कार्यक्रम चलेगा जो चौरी चौरा के विकास में नया आयाम होगा. यहां ट्रेनों का ठहराव भी होगा. काफी संख्या में लोग आएंगे. जो यहां लोगो के लिए नए रोजगार का मार्ग प्रशस्त करेगा.

चौरीचौरा जनआंदोलन में शहादत देने वाले क्रांतिकारियों के परिजनों का अपना दर्द भी है. यहीं के रहने वाले बृजराज यादव कहते हैं कि उनके बाबा और उनके पिता ने 1922 के चौरी चौरा कांड में बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया था. परिणाम स्वरूप तत्कालीन सरकार ने सजा दी और वे देश के लिए अंतिम सांस तक अपना सब कुछ न्योछावर कर दिए. आज भी उनके गांव में सड़क और बिजली की समस्या है. सरकार की तरफ से मिलने वाले कई सुविधाओं से उनका परिवार और गांव वंचित है. सरकार को चाहिए कि वो क्रांतिकारियों के परिवार की मदद करे.

क्रांतिकारी परिवार के रामेश्वर बताते हैं कि उनकी माताजी के पिताजी ने भी उस घटना में बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया था. जब तक माताजी जीवित थीं तब तक उन्हें केवल पेंशन मिली. बाकी अन्य सुविधाएं नाममात्र की ही मिलीं. उनके निधन के बाद सारी सुविधाएं बंद हो गईं. विक्रम अहीर कहते हैं कि उनके परिवार को इस समय कोई सुविधा नहीं मिल रही हैं. जो उनका हक है, उन्‍हें मिलना चाहिए.

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