हिंसक झड़प व प्रशासन की कड़ाई के बाद मामूली रूप से कमजोर हुआ किसान आंदोलन एक बार फिर उठ खड़ा हुआ है। गाजीपुर सीमा पर जुट रहे किसानों ने साफ कहा है कि सरकार अगर बिजली काटती है तो हम किसान है अंधेरे में खुले में रहने के आदी हैं। अगर पानी काटेगी तो कुआं खोद लेंगे पर आंदोलन पर डटे रहेंगे। दातून, राख, लकड़ी, अलाव कंबल सहित तमाम दूसरे देसी साधनों के साथ डटे किसानों ने साफ कर दिया है कि जवानों व किसानों के लड़ाने की कोई सोचे भी नहीं, क्योंकि किसानों के बेटे ही जवान हैं व जवानों के परिवार किसानी करते हैं। गाजीपुर सीमा पर मेले सा नजारा है। पुलिस प्रशासन की कड़ी चौकसी के बावजूद किसानों के जत्थों का लगातार यहां पहुंचना जारी है। कोई ट्रैक्टर से, कोई टेम्पो से, कोई जीप से तो कोई बैलगाड़ी से यहां पहुंच रहा है। कुछ लोग तो साइकिल, मोटरसाइकिल और पैदल ही धरनास्थल पर आ रहे हैं। स्थानीय प्रशासन ने बिजली पानी काट कर आंदोलनकारियों को यहां से हटाने की कोशिश की थी। लेकिन इस पर भारतीय किसान यूनियन की प्रदेश प्रभारी डॉ. रेखा शर्मा ने कहा कि सरकार भूल रही है कि आंदोलनकारी किसान हैं, हम कुआं खोद लेंगे पर आंदोलन को झुकने नहीं देंगे।
यहीं पर कैंप लगा कर वे दवाएं बांटने व मरीजों का इलाज करने में भी लगी हैं। उन्होंने बताया कि सर्दी जुकाम बुखार की दिक्कतें होने के बावजूद किसान जुटे व डटे हुए हैं। मोदीनगर से आए समर्थकों में इंदिरा चौधरी, कमलेश, मुनीश व अन्य महिला समर्थक भी शामिल रहे। धरनास्थल पर दातून, मंजन, साबुन, सैनिटरी नैपकिन, लकड़ी उपलों का इंतजाम किए किसानों ने बताया कि यह सभी आंदोलनकारियों को मुफ्त में मुहैया कराया जा रहा है। साथ ही चाय दूध के सहित खाने पीने के समानों का भी पूरा इंतजाम है। आने वाले दिनों में तीन से चार लाख किसानों के आने की उम्मीद व इंतजाम है। पर जगह-जगह पुलिस रोक रही है। काफी जत्थे रास्ते में रोक दिए गए हैं।