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राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली (संशोधन) अधिनियम 2021 लागू होने के बाद दिल्ली का पहला दिन सियासी और प्रशासनिक चुप्पी के बीच बीता। न दिल्ली सरकार की ओर से कोई प्रतिक्रिया आई और न ही राजनिवास में कोई बैठक हुई। ऐसी स्थिति में जब दिल्ली कोरोना संक्रमण और आक्सीजन संकट से बुरी तरह जूझ रही है, इस खामोशी के कई मतलब निकाले जा रहे हैं। अभी यह कह पाना जल्दबाजी होगी कि दिल्ली को इस अधिनियम का लाभ मिलेगा या फिर वह जूझेगी। मंगलवार देर रात जारी केंद्रीय गृह मंत्रालय की अधिसूचना बुधवार सुबह तक पूरी तरह सार्वजनिक हो गई थी। लिहाजा, राजनिवास और दिल्ली सरकार की सक्रियता को लेकर कई तरह के कयास लगाए जा रहे थे। हालांकि हुआ कुछ नहीं। कोरोना और आक्सीजन संकट के बीच मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल रोज डिजिटल पत्रकार वार्ता करते थे। वह और उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया कोविड केयर सेंटरों का दौरा भी करते रहे हैं, लेकिन बुधवार को न कोई पत्रकार वार्ता की गई और न ही कोई दौरा ही किया गया।

यहां तक कि किसी का कोई ट्वीट तक सामने नहीं आया। सूत्रों के मुताबिक, उपराज्यपाल अनिल बैजल जहां पहले दिन किसी तरह के उत्साह का प्रदर्शन करने से बचे, वहीं सरकार ने जल्दबाजी में कुछ कहने से परहेज किया। बताया जाता है कि सरकार मौजूदा स्थिति के मद्देनजर संवैधानिक और कानूनी जानकारों से सलाह-मशविरा कर रही है। उपराज्यपाल ने बृहस्पतिवार सुबह 11 बजे कोरोना महामारी को लेकर समीक्षा बैठक बुलाई है। इस बैठक में मुख्य सचिव और स्वास्थ्य विभाग के आला अधिकारियों सहित केजरीवाल के भी शरीक होने के आसार हैं। बैठक वर्चुअल ही होगी, लेकिन चर्चा कई मुद्दों पर हो सकती है। इस बैठक में बैजल का रुख निर्णयात्मक और केजरीवाल का रवैया पहले के मुकाबले नरम हो सकता है।

राजनीतिक जानकारों का कहना है कि राजनिवास और दिल्ली सरकार मिलकर चलेंगे तो नि:संदेह दिल्ली का विकास होगा, लेकिन पूर्व की भांति अगर आप सरकार ने अड़ियल रुख अपनाया तो कुछ समस्याएं भी खड़ी हो सकती हैं। हालांकि, निर्णय उपराज्यपाल को ही लेने हैं और सरकार इसमें कुछ नहीं कर पाएगी। इतना जरूर है कि आप सरकार की लोक-लुभावन योजनाओं और घोषणाओं पर अब रोक लग सकती है। इसके अलावा केंद्र सरकार की वे योजनाएं जिन्हें केजरीवाल दिल्ली में लागू होने से रोकते रहे हैं, अब लागू हो सकती हैं