देश के अलग-अलग जंगलों में ड्यूटी पर रहने वाले फॉरेस्ट अधिकारियों पर होने वाले हमले को लेकर शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई। अदालत की ओर से इस मामले में चिंता व्यक्त की गई, साथ ही केंद्र सरकार और अन्य पक्षकारों से पूरे विवाद पर चार हफ्ते में रिपोर्ट देने को कहा गया है। सुनवाई के दौरान चीफ जस्टिस ने पूछा कि क्या इस मामले में राज्य सरकारों को पक्षकार बनाया गया है। अदालत ने पूछा कि अगर असम में अधिकारियों के पास हथियार होता है तो कर्नाटक या अन्य राज्यों में सिर्फ लाठी क्यों होती है।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि फॉरेस्ट अधिकारियों के पास बुलेट प्रूफ जैकेट, हेलमेट, हथियार जैसी चीजें होनी चाहिए। भले ही सभी अधिकारियों के पास ना हो, लेकिन कुछ के पास जरूर होनी चाहिए। अदालत में जानकारी दी गई कि राज्य सरकारों की ओर से इसपर बजट जारी नहीं किया जाता है। अदालत ने सॉलिसिटर जनरल, पक्षकार समेत अन्यों को निर्देश दिया है कि वे इसपर एक व्यवस्था बनाएं और अदालत के सामने पेश करें।
चीफ जस्टिस ने कहा कि वन्य जीवों का अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अवैध व्यापार होता है, यह अहम मसला है और जरूरी है कि फॉरेस्ट अधिकारी ज़्यादा सशक्त हों। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि जब कोई अधिकारी जंगल में होता है, तो उसके पास मदद के लिए कोई रास्ता नहीं होता है, ऐसे में बिना हथियार के जंगल में किस तरह अधिकारी काम करता होगा, इसका अंदाजा लगाना मुश्किल है।
सुप्रीम कोर्ट ने महाराष्ट्र, मध्यप्रदेश और राजस्थान के गृह सचिव और पुलिस महानिदेशक से रिपोर्ट मांगी है, जिसमें फॉरेस्ट अधिकारियों पर कितने हमले हुए हैं और उनपर क्या एक्शन हुआ है इसकी जानकारी मांगी है। अदालत में अब चार हफ्ते बाद इसकी सुनवाई होनी है, केंद्र और अन्य पक्षकारों को जवाब देना होगा कि इनकी सुरक्षा के लिए क्या किया जा सकता है।