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राज्यसभा ने बुधवार को राष्ट्रीय राजधानी राज्य क्षेत्र शासन संशोधन विधेयक 2021 को विपक्ष के भारी विरोध के बीच मंजूरी प्रदान कर दी है। इसमें दिल्ली के उपराज्यपाल की कुछ भूमिका और अधिकारों को परिभाषित किया गया है। इस बिल के पास होने के बाद दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने कहा कि यह लोकतंत्र के लिए दुखद दिन है। उन्होंने कहा कि वो दिल्ली के लोगों के हाथ में शक्ति वापस सौंपने के लिए संघर्षरत रहेंगे।

राज्यसभा से जीएनसीटीडी बिल पास होने के बाद सीएम केजरीवाल ने अपने आधिकारिक ट्विटर हैंडल से ट्वीट कर दुख जताया। उन्होंने ट्वीट में लिखा कि “राज्यसभा में जीएनसीटीडी बिल का पास होना भारतीय लोकतंत्र के लिए दुखद दिन है। हम लोकतंत्र को जीवित करने के लिए, लोगों के हाथ में शक्ति सौंपने के लिए लगातार प्रयास करते रहेंगे”।

सीएम केजरीवाल ने अपने ट्वीट में लिखा कि “कितने भी रोड़े हमारे काम में आते रहें, हम अच्छा काम करने के लिए सदा प्रयासरत रहेंगे। काम कभी रुकेगा नहीं और ना ही धीमा होगा”।

वहीं दिल्ली के उप मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने राज्यसभा में पास किए गए बिल पर कहा कि यह लोकतंत्र के लिए काला दिवस है। उन्होंने ट्वीट में लिखा “आज का दिन लोकतंत्र के लिए काला दिन है। दिल्ली की जनता द्वारा चुनी गई सरकार के अधिकारों को छीन कर एलजी के हाथ में सौंप दिया गया। विडंबना देखिए कि लोकतंत्र की हत्या के लिए संसद को चुना गया, जो हमारे लोकतंत्र का मंदिर है। दिल्ली की जनता इस तानाशाही के खिलाफ लड़ेगी”।

राज्यसभा में विधेयक पर हुई चर्चा का जवाब देते हुए गृह राज्य मंत्री जी किशन रेड्डी ने कहा कि संविधान के अनुसार सीमित अधिकारों वाली दिल्ली विधानसभा से युक्त एक केंद्रशासित राज्य है। उच्चतम न्यायालय ने भी अपने फैसले में कहा है कि यह केंद्रशासित राज्य है। सभी संशोधन न्यायालय के निर्णय के अनुरूप हैं।

रेड्डी ने कहा कि संविधान के 239 ए अनुच्छेद के तहत राष्ट्रपति दिल्ली के लिए उपराज्यपाल की नियुक्ति करते हैं। उन्होंने कहा कि उपराज्यपाल और दिल्ली की चुनी हुई सरकार के बीच किसी विषय को लेकर विचारों में अंतर होता है तो उपराज्यपाल इसके बारे में राष्ट्रपति को सूचित करते हैं। उन्होंने कहा कि वह दिल्ली की जनता को यह आश्वासन देना चाहते हैं कि दिल्ली सरकार के किसी अधिकार को कम नहीं किया गया है। उन्होंने कहा कि दिल्ली विधानसभा के पास सीमित विधायी अधिकार हैं।