कुरुक्षेत्र के अभिमन्युपुर गांव स्थित अभिमन्यु के टीले पर शोध के दौरान बेहद प्राचीन शंख मिला है, जो कुषाणकालीन माना जा रहा है। महाभारत कालीन साइट से मिले इस शंख को लेकर इतिहासकारों के साथ ही पुरातत्ववेत्ताओं में भी कौतुहल है। यही कारण है कि कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय का प्राचीन इतिहास विभाग भी इसकी जांच में जुट गया है। वहीं पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग की टीम भी इस साइट पर जांच के लिए पहुंचने वाली है।
- अभिमन्यु के टीले पर शोध के दौरान प्राचीन शंख मिलने का पता चला तो बड़ी संख्या में ग्रामीण वहां एकत्रित हो गए। हर कोई इसे देखकर हैरान रह गया। शोधार्थियों की मानें तो यह करीब दो हजार साल पुराना हो सकता है। इससे हमारी प्राचीन सभ्यता एवं संस्कृति का भी पता चलता है।
विदित हो कि टीले का इतिहास महाभारत से जुड़ा हुआ है। माना जाता है कि महाभारत में वर्णित सात वनों में से अदिति वन अमीन गांव में था, जबकि यह भी माना गया है कि अर्जुन के पुत्र अभिमन्यु को चक्रव्यूह में घेरकर इसी स्थान पर मारा गया था। ऐसे में इस टीले से शंख के मिलने पर प्राचीन मान्यताओं को भी बल मिला है।
- इसी टीले पर भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग की ओर से पहले भी रिसर्च किया जा चुका है। करीब 50 साल पहले यहां दो पिलरों पर बनी यक्ष-यक्षणी कि पत्थर की मूर्तियां भी मिली थीं, जो कि आस पास के क्षेत्रों में आज भी चर्चा का विषय है। वर्तमान में भी ये मूर्तियां दिल्ली स्थित राष्ट्रीय संग्रहालय में प्रदर्शित हैं।
इस टीले की ऊंचाई 18 से 20 फुट के करीब है, जिस पर कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय के शोधार्थियों की ओर से लगातार शोध किए जा रहे हैं। विश्वविद्यालय के प्राचीन भारतीय इतिहास संस्कृति एवं पुरातत्व विभाग के शोधार्थी जसबीर सिंह, विनोद कुमार और गुलशन टीले पर करीब डेढ़ माह से पुरातात्विक शोध कार्य कर रहे हैं। इसी दौरान ये शंख मिला है।