यूपी विधानसभा का बजट सत्र अगले महीने से शुरू होने जा रहा है। इसके लिए सरकार के सभी विभागों में तैयारियां शुरू हो गयी है। उत्तर प्रदेश सरकार का बजट 5.5 लाख करोड़ के आसपास हो सकता है। योगी सरकार ने 2020-21 में 5,12,860.72 करोड़ का बजट पेश किया गया था। पर इस पूरे वित्तीय वर्ष में कोविड-19 महामारी का असर रहा और केंद्र व राज्य सरकार की आर्थिक स्थिति पर विपरीत प्रभाव पड़ा है। कोरोना महामारी से आर्थिक चुनौतियों का सामना कर रही सरकार के सामने राज्य की ऋणग्रस्तता, राजस्व बचत, राजकोषीय घाटे में संतुलन बनाने की चुनौती है। लेकिन चुनावी वर्ष में राजस्व प्राप्तियों का अनुमान बढ़ा-चढ़ाकर लगाकर नई योजनाओं के लिए बजट प्रावधान का तरीका अपनाने का रास्ता खुला है।
सीएम ने हाल ही में बजट को लेकर विभागीय अधिकारियों के साथ बैठक की जिसमें वर्तमान बजट वर्ष 2020-21 के अन्तर्गत अब तक जारी स्वीकृतियों एवं व्यय का लेखा-जोखा, केन्द्र सरकार से प्राप्त धनराशि तथा अवशेष धनराशि की प्राप्ति के लिए किए गए प्रयासों और उसके उपयोग की स्थिति का विवरण प्रस्तुत किया गया।
उन्होंने कहा कि सभी विभागों के मंत्री अपने अपर मुख्य सचिवों एवं प्रमुख सचिवों के साथ बैठक कर विभाग के बजट की स्थिति की समीक्षा करें। आगामी वित्तीय वर्ष 2021-22 का आम बजट तैयार किया जा रहा है। ग्राम पंचायतों में सामुदायिक शौचालय तथा ग्राम सचिवालयों के निर्माण सम्बन्धी कार्यों में तेजी लायी जाए।
सीएम योगी आदित्यनाथ कह चुके हैं कि प्रदेश स्थित भारत-नेपाल सीमा क्षेत्र की सड़क परियोजनाएं शीघ्रता से पूरी की जाएं। इसमें विशेषज्ञों की मदद ली जाए। सरयू नहर परियोजना और मध्य गंगा नहर परियोजना को प्राथमिकता के साथ पूरा किया जाए। प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत लाभार्थियों का चिन्हांकन कर उन्हें मकान उपलब्ध कराया जाए। वह चाहते हैं कि संस्कृत विद्यालयों में जब तक स्थायी शिक्षक न आएं, तब तक वैकल्पिक व्यवस्था संचालित रहे। प्रदेश में बच्चों को विद्यालय से जोड़ने के लिए राज्य सरकार द्वारा किए गए प्रयासों के अच्छे परिणाम मिले हैं। इन प्रयासों को और गति प्रदान की जाए। उन्होंने ‘गंगा एक्सप्रेस-वे’ के लिए भूमि अधिग्रहण के कार्य को तत्परता के साथ किये जाने की आवश्यकता पर बल देने के साथ यह भी कहा है कि वृद्धावस्था पेंशन सहित सामाजिक सुरक्षा से जुड़ी सभी योजनाओं का लाभ पात्र लोगों को मिले।
उन्होंने कहा कि प्रदेश की ज्यादातर सरकारें चुनावी वर्ष में अक्सर सभी वित्तीय कसौटियां नजरंदाज कर देती हैं। इस कठिन परिस्थिति में यह विकल्प फिर उपलब्ध है। अधिकतम सीमा तक ऋण लेने का प्रावधान करने, राजस्व प्राप्तियों का अनुमान बढ़ा-चढ़ाकर दिखाकर पूर्ववर्ती सरकारों की तरह नई योजनाओं के लिए बजट बंदोबस्त किया जा सकता है। ऐसा करके बजट आकार 5.50 लाख करोड़ से काफी अधिक ले जाया जा सकता है।