कांग्रेस सांसद गुलाम नबी आजाद सहित चार सदस्यों का कार्यकाल पूरा होने पर आज राज्यसभा में उन्हें शुभकामनाएं दी गईं। इस दौरान कुछ पल ऐसे आए जिन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गुलाम नबी आजाद की आंखे नाम कर दी। गुलाम नबी आजाद ने अपना विदाई भाषण देते हुए कहा कि मुझे हिंदुस्तानी मुसलमान होने पर गर्व महसूस होता है।
कांग्रेस सांसद ने कहा, मैं उन सौभाग्यशाली लोगों में से हूं, जो कभी पाकिस्तान नहीं गए। जब मैं पाकिस्तान की परिस्थितियों के बारे में पढ़ता हूं, तो मुझे हिंदुस्तानी मुसलमान होने पर गर्व महसूस होता है। प्रधानमंत्री जिस फोन कॉल का जिक्र कर भावुक हुए उन्हें लम्हों पर गुलाम नबी आजाद ने भी कुछ यादों को साझा किया।
उन्होंने कहा कि ‘सच बताएं सर, मेरे माता-पिता की जब मृत्यु हुई तो मेरे आंखों से आंसू निकले लेकिन मैं चिल्लाया नहीं लेकिन जब मैं चिल्लाया वह थी संजय गांधी की मौत, इंदिरा गांधी की मौत और राजीव गांधी की मौत और चौथी थी जब सुनामी आ गया था उड़ीसा में 1999 में। उस समय समुद्र में हर तरफ लाशें थीं। मैं पांचवीं दफा तब चिल्लाकर रोया जब वह आतंकी हमला हुआ, जिसका उल्लेख पीएम मोदी ने किया।’
उन्होंने कहा, ‘साल 2005 में जब मैं कश्मीर का मुख्यमंत्री बना, तो उसका स्वागत मेरे गुजरात के भाइयों की मौत से हुआ। वहां स्वागत करने का आतंकियों का तरीका यही था। गरीबों की हत्या करो। आतंकवादियों ने गुजरात की बस पर हमला किया और दर्जन से ज्यादा वहीं हताहत हो गए और कई घायल हो गए। लेकिन जब मैं एयरपोर्ट पर पहुंचा, तो जाहिर है सिक्योरिटी वाले कहते हैं सीएम आ रहे हैं, सीएम आ रहे हैं…वहां छोटे-छोटे बच्चे थे जिनके पिता मर गए थे, किसी की मां मर गई। वे रोते-रोते मेरी टांगों से लिपट गए। तब मैं जोर से रोया कि ऐ खुदा मैं क्या करूं। आज मैं इन्हें लाशें दे रहा हूं इनके माता-पिता की। यह भावुक होने की बात थी। आज हम अल्लाह से यही कहते हैं कि इस देश से आतंकवाद खत्म हो जाए।’