1932 में फारुख अब्दुल्ला के पिता, शेख अब्दुल्ला, ने ऑल जम्मू कश्मीर मुस्लिम कॉन्फ्रेंस की स्थापना की, जो बाद में जम्मू कश्मीर नेशनल कॉन्फ्रेंस के नाम से जानी जाने लगी। अब्दुल्ला परिवार की तीसरी पीढ़ी के सदस्य, उमर अब्दुल्ला, जम्मू-कश्मीर के सबसे युवा मुख्यमंत्री बनने का रिकॉर्ड रखते हैं।
नई सरकार का गठन
हाल ही में जम्मू कश्मीर में नई सरकार का शपथ ग्रहण हुआ। नेशनल कॉन्फ्रेंस के उपाध्यक्ष उमर अब्दुल्ला ने मुख्यमंत्री पद की शपथ ली, जिसमें विपक्षी गठबंधन के कई नेता भी शामिल हुए। 90 सीटों वाली विधानसभा के लिए लगभग 10 साल बाद चुनाव कराए गए, जिसमें फारुख अब्दुल्ला की नेशनल कॉन्फ्रेंस ने कांग्रेस के साथ मिलकर बहुमत हासिल किया।
नेशनल कॉन्फ्रेंस का इतिहास
स्वतंत्रता से पहले का काल
अक्टूबर 1932 में, शेख अब्दुल्ला ने ऑल जम्मू एंड कश्मीर मुस्लिम कॉन्फ्रेंस की स्थापना की। 11 जून 1939 को इसका नाम बदलकर ऑल जम्मू एंड कश्मीर नेशनल कॉन्फ्रेंस रखा गया। इस दौरान कई बदलाव हुए, और 1947 में शेख अब्दुल्ला इसके अध्यक्ष बने।
स्वतंत्रता के बाद की घटनाएँ
1951 में, नेशनल कॉन्फ्रेंस ने जम्मू-कश्मीर की संविधान सभा की सभी 75 सीटें जीतीं। शेख अब्दुल्ला 1953 में भारत के खिलाफ साजिश के आरोप में बर्खास्त हुए। 1965 में, पार्टी का भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस में विलय हो गया।
परिवार में सत्ता का हस्तांतरण
1977 में, फारुख अब्दुल्ला ने मुख्यमंत्री पद संभाला। शेख अब्दुल्ला की मृत्यु के बाद, फारुख ने मुख्यमंत्री की कुर्सी पर कब्जा किया। लेकिन उनके जीजा गुलाम मोहम्मद शाह ने 1984 में पार्टी को विभाजित कर दिया। 1987 में, फारुख ने फिर से मुख्यमंत्री पद संभाला, लेकिन 1990 में हालात बिगड़ने पर उन्हें बर्खास्त कर दिया गया।
उमर अब्दुल्ला का उदय
1996 में, उमर अब्दुल्ला ने सत्ता संभाली। 2008 में, उन्होंने मुख्यमंत्री बनने के बाद जम्मू और कश्मीर के सबसे युवा मुख्यमंत्री का रिकॉर्ड बनाया। 2014 के विधानसभा चुनावों में नेशनल कॉन्फ्रेंस का प्रदर्शन कमजोर रहा, जिसके बाद उमर ने मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दिया।
10 साल बाद वापसी
हाल में हुए चुनावों में, नेशनल कॉन्फ्रेंस ने 42 सीटें जीतीं, जबकि भाजपा ने 29 और कांग्रेस ने 6 सीटें प्राप्त कीं। उमर अब्दुल्ला ने दो सीटों से जीत हासिल की और अब जम्मू कश्मीर की सत्ता की कमान फिर से संभाली है।
अब्दुल्ला परिवार की पृष्ठभूमि
शेख अब्दुल्ला का विवाह बेगम अकबर जहां से हुआ, और उनके चार बच्चे हुए: फारुख, सुरैया, मुस्तफा कमाल, और खालिदा। फारुख का विवाह मौली अब्दुल्ला से हुआ, और उनके चार बच्चे हैं: उमर, साफिया, हिना, और सारा। उमर की शादी पायल नाथ से हुई थी, जो बाद में अलग हो गईं। सारा की शादी राजस्थान के पूर्व उपमुख्यमंत्री सचिन पायलट से हुई थी, जो भी बाद में अलग हो गए।
इस तरह, अब्दुल्ला परिवार ने जम्मू कश्मीर के राजनीतिक परिदृश्य में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।