केंद्र सरकार के तीन नए कृषि कानूनों के विरोध में किसानों का आंदोलन कई महीने बीत जाने के बाद भी लगातार जारी है. तीन कृषि कानूनों के खिलाफ किसान दिल्ली की सीमाओं पर प्रदर्शन कर रहे हैं. कृषि कानूनों पर कई दौर की बातचीत के बाद भी कोई समाधान नहीं निकला. न किसान पीछे हटने को तैयार हैं, न ही सरकार कानूनों को वापस लेने को राजी है. इस बीच कृषि कानूनों पर गठित कमेटी ने बंद लिफाफे में सुप्रीम कोर्ट में बुधवार को अपनी रिपोर्ट दाखिल कर दी है. अब इस रिपोर्ट पर 5 अप्रैल को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई होगी. मोदी सरकार का बड़ा फैसला, फूड प्रोसेसिंग सेक्टर के लिए PLI स्कीम को मंजूरी
तीन कृषि कानूनों पर सुप्रीम कोर्ट द्वारा नियुक्त की गई तीन सदस्यीय कमेटी ने सुप्रीम कोर्ट को बंद लिफाफे में अपनी रिपोर्ट जमा की. कमेटी ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि इस मामले का हल निकालने के लिए करीब 85 किसान संगठनों से बात की गई है. आपको बता दें कि सुप्रीम कोर्ट ने 12 जनवरी को इस कमेटी का गठन किया था. जिसमें कृषि विशेषज्ञ अशोक गुलाटी, डॉ. प्रमोद कुमार जोशी अनिल धनवत शामिल हैं. सुप्रीम कोर्ट ने 4 सदस्यीय टीम बनाई थी, लेकिन किसान नेता भूपिंदर सिंह मान ने इससे खुद को अलग कर लिया था.
दरअसल, केंद्र सरकार द्वारा लागू कृषक उपज व्यापार वाणिज्य (संवर्धन सुविधा) कानून 2020, कृषक (सशक्तीकरण एवं संरक्षण) कीमत आश्वासन कृषि सेवा करार कानून 2020 आवश्यक वस्तु (संशोधन) कानून 2020 को वापस लेने न्यूनतम समर्थन मूल्य पर फसलों की खरीद की कानूनी गारंटी देने की मांग कर रहे हैं. किसान 26 नवंबर से इन कानूनों के खिलाफ आंदोलन कर रहे हैं. किसानों ने उसी दिन से दिल्ली आने वाली सीमाओं को अवरुद्ध कर दिया, जिसके बाद इन मार्गों से दिल्ली में प्रवेश मुश्किल हो गया. हालांकि आपको बता दें कि फिलहाल सुप्रीम कोर्ट ने तीनों कृषि कानूनों पर रोक लगा रखी है.