सुप्रीम कोर्ट ने कथित विवादास्पद ‘लव जिहाद कानून’ पर रोक लगाने से इनकार कर दिया है। अलबत्ता बुधवार को सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड सरकार को नोटिस जरूर जारी किया है। लाइव लॉ की जानकारी के मुताबिक सुप्रीम कोर्ट ने यह नोटिस याचिकाकर्ताओं की ओर से धर्मांतरण विरोधी कानूनों को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुनवाई करने के बाद यह नोटिस जारी किया है। लेकिन, कोर्ट ने इस कानून पर रोक नहीं लगाकर फिलहाल दोनों राज्य सरकारों को बहुत बड़ी राहत दी है।

उत्तर प्रदेश सरकार ने पिछले साल नवंबर में प्रोहिबिटेशन ऑफ अनलॉफुल कन्वर्जन ऑफ रिलीजन ऑर्डिनेंस लागू किया था। उसके बाद से इस कानून के तहत कई मुस्लिम पुरुषों को गिरफ्तार किया था। उत्तराखंड फ्रीडम ऑफ रिलीजन ऐक्ट, 2018 भी शादी के लिए धर्मांतरण को प्रतिबंधित करता है। इस मामले की सुनवाई भारत के मुख्य न्यायधीश जस्टिस एसए बोबडे की अगुवाई वाली तीन सदस्यीय खंडपीठ कर रही है, जिसमें जस्टिस वी रामासुब्रमणियन और जस्टिस एएस बोपन्ना भी शामिल हैं। लव जिहाद कानूनों के खिलाफ ये याचिकाएं विशाल ठाकरे नाम के एक वकील और सिटीजन्स फॉर जस्टिस एंड पीस नाम के एनजीओ ने डाली है। उत्तर प्रदेश के अलावा चार और बीजेपी शासित राज्यों मध्य प्रदेश, कर्नाटक, हरियाणा और असम ने भी शादी के लिए जबरन धर्म बदले जाने के खिलाफ ऐसे ही कानून लाने का फैसला किया है।

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