BHARAT VRITANT

पश्चिम बंगाल विधानसभा का दो-दिवसीय सत्र आज शुरु होगा. ममता सरकार कल यानी 28 जनवरी को केंद्र सरकार के नये कृषि कानूनों का विरोध में प्रस्ताव पेश करेगी और कानून रद्द करने की मांग करेगी. राज्य के संसदीय कार्य मंत्री पार्थ चटर्जी ने कहा कि 28 जनवरी को दूसरे हिस्से के दौरान प्रस्ताव को नियम 169 के तहत पेश किया जाएगा. उन्होंने कहा कि इस विषय पर दो-ढाई घंटे तक चर्चा होगी. बता दें कि अभी तक पांच गैर-बीजेपी शासित राज्य- पंजाब, छत्तीसगढ़, राजस्थान, केरल और दिल्ली- ने केंद्र सरकार के नये कृषि कानूनों के खिलाफ अपनी विधानसभाओं में प्रस्ताव पारित किए हैं.

ममता सरकार चाहती थी कि इस प्रस्ताव को लेफ्ट और कांग्रेस के साथ मिलकर लाया जाए, लेकिन सरकार का यह प्रस्ताव फेल हो गया. दरअसल कांग्रेस और लेफ्ट इसे नियम 185 के तहत लाना चाहती थीं. राज्य के संसदीय कार्य मंत्री चटर्जी ने कहा कि वे इसी प्रस्ताव को नियम 185 के तहत लाना चाहते थे. एक ही मुद्दे पर दो प्रस्ताव दो अलग-अलग नियमों के तहत लाने का क्या मतलब है? जब सरकार एक प्रस्ताव दे चुकी और उम्मीद है कि इसे स्वीकार कर लिया जाएगा.

नियम 169 के तहत, सरकार विधानसभा में एक प्रस्ताव देती है, जबकि नियम 185 के तहत कोई भी पार्टी सदन में प्रस्ताव पेश कर सकती है. विपक्ष के नेता एवं कांग्रेस के वरिष्ठ नेता अब्दुल मन्नान ने कहा कि तृणमूल कांग्रेस सरकार के पास केंद्र के नये कृषि कानूनों के खिलाफ प्रस्ताव लाने का कोई नैतिक अधिकार नहीं है क्योंकि राज्य सरकार ने भी कुछ साल पहले इसी तरह के कानून पारित किए थे.

लेफ्ट और कांग्रेस ने कहा कि वे चर्चा में हिस्सा लेंगे और सदन में अपने विचार रखेंगे. बीजेपी विधायक दल के नेता मनोज तिग्गा ने कहा कि उनकी पार्टी प्रस्ताव का विरोध करेगी. प्रस्ताव के अलावा, कृषि विश्वविद्यालय की स्थापना और जीएसटी से संबंधित मुद्दों से संबंधित दो विधेयक पेश किए जाएंगे.

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