सुप्रीम कोर्ट ने कांग्रेस के दिग्गज नेता और सांसद शशि थरूर, पत्रकार मृणाल पांडे, राजदीप सरदेसाई, जफर आगा सहित 8 आरोपियों को बड़ी राहत दी है। इन सभी ने उच्चतम न्यायालय में देश के विभिन्न राज्यों में उनके खिलाफ दर्ज होने वाले देशद्रोह के मुकदमों को रद्द करने की अपील की थी। इस पर सुनवाई करते हुए शीर्ष अदालत ने फिलहाल सभी राज्य सरकारों को इन सभी के विरूद्ध नए मुकदमे दर्ज करने से रोक दिया है। साथ ही इन सभी की गिरफ्तारी पर रोक लगा दी है। जिन राज्यों में मामला दर्ज किया जा चुका है, उन राज्य सरकारों को कोर्ट ने नोटिस जारी किया है। मामले की अगल सुनवाई दो हफ्ते बाद की जाएगी।
दरअसल इन सभी के खिलाफ उत्तर प्रदेश के नोएडा, राजधानी दिल्ली तथा मध्य प्रदेश समेत दूसरे कई राज्यों में देशद्रोह का मुकदमा दर्ज हुआ है। इन सभी पर आरोप है कि इन्होंने गणतंत्र दिवस के दिन राजधानी दिल्ली में किसानों की ट्रैक्टर परेड के दौरान हुई हिंसा के संबंध में कई भ्रामक और उकसाऊ ट्वीट/पोस्ट किए। दिल्ली पुलिस ने भी 30 जनवरी को शशि थरूर, सरदेसाई, ‘कारवां पत्रिका और अन्य के खिलाफ मामला दर्ज किया था। मध्य प्रदेश पुलिस ने भी दिल्ली में किसानों की ‘ट्रैक्टर परेड के दौरन हिंसा पर ”भ्रामक ट्वीट करने के आरोप में थरूर एवं छह पत्रकारों के खिलाफ मामला दर्ज किया है। सभी आरोपियों ने सुप्रीम कोर्ट में उन्हें राहत देने की मांग की थी।
नोएडा में रहने वाले अर्पित मिश्रा नाम के व्यक्ति ने थाना सेक्टर-20 कोतवाली पुलिस को शिकायत दी थी। इसमें मांग की गई थी कि तिरुअनंतपुरम से सांसद शशि थरूर, इंडिया टुडे के न्यूज़ एंकर राजदीप सरदेसाई, नेशनल हेराल्ड की सलाहकार संपादक मृणाल पांडे, कौमी आवाज उर्दू समाचार पत्र के मुख्य संपादक जफर आगा, कारवां मैगजीन के मुख्य संपादक, प्रकाशक और मुद्रक परेशनाथ, मैगजीन के संपादक अनंतनाथ और कार्यकारी संपादक विनोद के जोश के खिलाफ एफआईआर दर्ज की जाए।
शिकायतकर्ता ने लिखा, “मैं कानून में विश्वास रखने वाला एक भारतीय नागरिक हूं। 26 जनवरी 2021 को जानबूझकर कराए गए दंगे से अत्यंत दुखी हैं। इन व्यक्तियों ने पूर्वाग्रह से ग्रस्त होकर ऐसा कार्य किया, जिससे देश की सुरक्षा और जनता का जीवन खतरे में पड़ गया। एक षड्यंत्र के तहत सुनियोजित दंगा कराने और लोक सेवकों की हत्या करने के उद्देश्य से इन लोगों ने राजनीतिक हिंसा और दंगे कराए हैं।”