पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी हर बार केंद्रीय सुरक्षा बलों पर भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) की मदद करने और वोटरों को मतदान करने से रोकने का आरोप लगाती रही हैं. ममता के इन आरोपों पर चुनाव आयोग ने संज्ञान लिया है और ममता को नोटिस भेजा है. इससे पहले आयोग ने ममता को ‘मुस्लिमों के एकजुट हो जाने’ वाले बयान पर नोटिस भेजा था.
चुनाव आयोग की ओर से कल यानी 8 अप्रैल को भेजे गए दूसरे नोटिस में ममता बनर्जी के उन बयानों का जिक्र है, जिसमें वह केंद्रीय सुरक्षा बलों के रोल पर सवाल उठा रही हैं. टीएमसी के एक प्रतिनिधिमंडल ने 21 फरवरी को बांग्लादेश बॉर्डर की सुरक्षा में तैनात बीएसएफ पर एक पार्टी के पक्ष में ग्रामीणों को धमकाने का आरोप लगाया था.
ममता को भेजे गए नोटिस में बीएसएफ पर लगे आरोपों पर पर चुनाव आयोग का कहना है कि बीएसएफ पर आरोप लगाना दुर्भाग्यपूर्ण है, बीएसएफ देश ही बेहतरीन फोर्स में से एक है, बीएसएफ पर सवाल उठाना गलत है. इसके साथ ही चुनाव आयोग ने नोटिस में ममता के उस बयान का जिक्र किया, जिसमें वो कह रही हैं कि वोटरों को मतदान करने से CRPF रोक रही है. चुनाव आयोग का कहना कि सीआरपीएफ समेत सभी अर्द्धसैनिकों बलों की चुनाव कराने में अहम भूमिका है, वह कानून व्यवस्था से लेकर निष्पक्ष चुनाव संपन्न कराते हैं. आयोग ने कहा कि ममता बनर्जी का आरोप दुर्भाग्यपूर्ण है, इससे न केवल चुनाव के दौरान, बल्कि चुनाव के बाद भी केंद्रीय सुरक्षा बलों पर सवाल उठेंगे.
चुनाव आयोग का कहना है कि ममता का बयान चुनाव आचार संहिता के साथ ही आईपीसी की धारा 186, 189 और 505 का उल्लंघन है. ममता बनर्जी ने चुनाव आयोग ने 10 अप्रैल को दिन में 11 बजे तक जवाब मांगा हैं. आयोग का कहना है कि अगर ममता बनर्जी जवाब नहीं देती हैं तो उनके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी. इससे पहले ममता बनर्जी को मुस्लिमों वोट न बंटने दें’ बयान पर चुनाव आयोग ने नोटिस भेजा था. इस नोटिस पर ममता ने कहा कि चुनाव आयोग चाहे 10 नोटिस जारी कर दे, वे अपने बयान पर कायम हैं. उन्होंने कहा, ‘मैं उन लोगों के खिलाफ अपनी लड़ाई जारी रखूंगी, जो बंगाल को धर्म और संप्रदाय में बांटना चाहते हैं.’