राष्ट्रपति के अभिभाषण के धन्यवाद जवाब में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने संबोधन में कहा कि भारत अवसरों का देश है। राज्यसभा में पीएम मोदी ने कहा कि कई अवसर हमारा इंतजार कर रहे हैं, इसलिए एक ऐसा राष्ट्र जो युवा है, जोश से भरा है और एक ऐसे राष्ट्र है जो सपनों को साकार करने का प्रयास कर रहा है। उन्होंने कृषि आंदोलन पर जवाब देते हुए राज्यसभा में कहा ‘एमएसपी था, एमएसपी है और एमएसपी रहेगा।’
प्रधानमंत्री ने सदन में कृषि आंदोलन पर विपक्ष को जवाब देते हुए कहा कि सदन में ज्यादा से ज्यादा किसान आंदोलन पर चर्चा हुई। किस बात पर आंदोलन है, इस बात पर भी सभी मौन रहे।
प्रधानमंत्री किसान सम्मान योजना के तहत 10 करोड़ किसानों को लाभ मिला। अगर बंगाल भी जुड़ जाता और राजनीति आड़े नहीं आती तो ज्यादा किसानों को फायदा मिला होता। अब तक किसानों को 115000 करोड़ रुपए प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि योजना के तहत मिल चुका हैं। उन्होंने कहा, ‘शरद पवार जी और कांग्रेस के लोग सभी सरकारें कृषि सुधारों के लिए खड़े थे। वे ऐसा करने में सक्षम थे या नहीं, लेकिन सभी ने वकालत की है कि यह किया जाना चाहिए।’
पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह पर हमला करते हुए पीएम मोदी ने कहा, ‘कृषि सुधारों को लेकर विपक्ष से सवाल किया कि आपने यू-टर्न क्यों ले लिया। आपको गर्व होना चाहिए जो मनमोहन सिंह जी ने कहा था वह मोदी कर रहा हैं।’ उन्होंने कहा, ‘1971 में 1 हेक्टेयर से कम जमीन वाले किसानों की संख्या 51 फीसदी थी, जो आज बढ़कर 68% हो गई है यानि उन किसानों की संख्या बढ़ रही है, जिनके पास बहुत कम जमीन है। आज देश में 86 फ़ीसदी ऐसे किसान हैं, जिनके पास 2 हेक्टेयर से भी कम जमीन है। इनकी संख्या ऐसे 12 करोड़ किसान हैं।’
पीएम मोदी ने कहा, ‘क्या इनके प्रति हमारी कोई जिम्मेदारी नहीं है? हमें चौधरी चरण सिंह को सच्ची श्रद्धांजलि देने के लिए इस दिशा में कुछ करना होगा। चौधरी चरण सिंह हमेशा किसानों का सेंसस का जिक्र करते थे, जिसमें यह बात सामने आई थी कि देश में 33 फ़ीसदी किसानों के पास 2 बीघा से कम जमीन है और 18 फ़ीसदी के पास 2 से 4 बीघे की जमीन है। चौधरी चरण सिंह मानते थे कि इससे इन किसानों का गुजर नहीं हो सकता।’
मैं डेरेक जी को सुन रहा था, उन्होंने अच्छे शब्दों को चुना था- फ्रीडम ऑफ स्पीच, इन्टिमिडेशन। जब मैं उसे सुन रहा था, तो मुझे आश्चर्य हो रहा था कि क्या वह बंगाल के बारे में बात कर रहे हैं। वह 24 घंटे यह सब देखते हैं, इसलिए उन्होंने शायद यहां भी यही कहा है।
हमारा लोकतंत्र पश्चिमी संस्थान नहीं है। यह एक मानवीय संस्था है। भारत का इतिहास लोकतांत्रिक संस्थाओं के उदाहरणों से भरा पड़ा है। हमें प्राचीन भारत में 81 लोकतंत्रों का उल्लेख मिलता है। आज भारत के राष्ट्रवाद पर हमलों के बारे में नागरिकों को चेतावनी देना आवश्यक है