राजीव गांधी ने ‘ग्राम कांग्रेस’ का सपना देखा था। इसके जरिए वे ग्रामीण भारत को आर्थिक, सामाजिक और राजनीतिक तौर पर मजबूत करना चाहते थे। अपने पिता के इसी सपने को पूरा करते हुए प्रियंका गांधी अब उत्तर प्रदेश में कांग्रेस को दोबारा खड़ा करना चाहती हैं। उनके नेतृत्व में उत्तर प्रदेश में संगठन को गांव, न्याय पंचायत, ब्लॉक और जिला स्तर पर मजबूत करने की गंभीर कोशिशें हो रही हैं। कांग्रेस की कोशिश है कि वह मतदाताओं में गैर-भाजपाई विचारधारा के लोगों को अपने साथ जोड़े और एक मजबूत विपक्ष बनकर खड़ी हो।
कांग्रेस के सर्वोच्च नेताओं से पार्टी के निचले स्तर तक के कार्यकर्ताओं के बीच की दूरी कांग्रेस की बड़ी समस्या थी। इसका नतीजा होता था कि ऊपर लिए गए फैसले और नीतियां निचले स्तर तक नहीं पहुंचती थीं। मनमोहन सिंह सरकार ने अपने दस साल के शासनकाल में जनता के लिए काफी अच्छे काम किए। लेकिन इन योजनाओं को भाजपा की तरह निचले स्तर तक पहुंचाने का तंत्र गायब था।
इसका परिणाम हुआ कि मनमोहन सरकार के अच्छे काम निचले स्तर तक नहीं पहुंचे जबकि भाजपा और अन्य दलों का विरोध ज्यादा जोर-शोर से सुनाई पड़ा। इससे जनता में कांग्रेस के प्रति मोहभंग हुआ और जो यूपीए के पांच साल पहले 2009 में बहुमत पाकर सत्ता में आई थी, लेकिन अगले ही चुनाव (2014) में बुरी तरह पिछड़ गई। खुद कांग्रेस 44 पर सिमट कर रह गई। लेकिन कांग्रेस ने अब अपनी इस कमी को महसूस किया है और पार्टी को निचले स्तर पर मजबूत करने का काम शुरू किया है।
प्रियंका ने किया ये बदलाव
प्रियंका गांधी के विशेष सलाहकार आचार्य प्रमोद कृष्णम ने अमर उजाला से कहा कि कांग्रेस इस बात को बखूबी समझ रही है कि गांव, पंचायत और ब्लॉक जैसे सबसे निचले स्तर पर मजबूत हुए बिना पार्टी मजबूत नहीं हो सकती। प्रियंका ने जब उत्तर प्रदेश संगठन का काम संभाला, तो उन्होंने सबसे पहले प्रदेश के हर जिले के वरिष्ठ कांग्रेसी नेताओं-कार्यकर्ताओं से मुलाकात की। यह समझने की कोशिश की कि पार्टी से किस स्तर पर चूक हो रही है और पार्टी किस तरह दुबारा अपनी जमीन वापस पा सकती है।