आज सरकार और किसानों के बीच कृषि कानून को लेकर सातवें दौर की बातचीत होनी है। ये बातचीत दोपहर दो बजे विज्ञान भवन में होगी। सातवें दौर की बातचीत से पहले किसानों को सख्त तेवर दिखाए हैं। भारतीय किसान यूनियन के राष्ट्रीय प्रवक्ता राकेश टिकैत ने कहा कि मीटिंग का एजेंडा रहेगा स्वामीनाथन कमेटी की रिपोर्ट, तीन कृषि क़ानूनों की वापसी और न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) पर क़ानून बने, हम वापस नहीं जाएंगे। अब तक 60 किसान शहीद हो चुके हैं। सरकार को जवाब देना होगा।

वहीं, किसान मज़दूर संघर्ष कमेटी के सुखविंदर सिंह सभरा ने कहा कि अगर आज तीनों कानूनों को निरस्त करने की बात नहीं बनती और एमएसपी गारंटी का कानून नहीं आता तो हमारे अगले कार्यक्रम पहले से ही तैयार हैं। 6 जनवरी को ट्रैक्टरों पर मार्च किया जाएगा, 7 जनवरी को देश को जगाने की कवायद शुरू होगी।

किसानों ने सरकार को चेतावनी देते हुए कहा कि अगर सरकार ने उनकी मांगें नहीं मानीं, तो आंदोलन और तेज करेंगे। किसान संगठनों की ओर से कहा गया है कि 13 जनवरी को नए कृषि कानूनों की कॉपी जलाकर लोहड़ी मनाएंगे और 23 जनवरी को नेताजी सुभाष चंद्र बोस के जन्मदिन के अवसर पर किसान दिवस भी मनाएंगे। इसके साथ ही 6 से 20 जनवरी तक देश जागृति पखवाड़ा मनाया जाएगा। इसी दिन किसान केएमपी एक्सप्रेसवे पर मार्च निकालेंगे। दिल्ली की सीमाओं पर बारिश के बीच किसान डटे हुए हैं। किसानों का कहना है कि वो मांग पूरी किए बिना वापस नहीं जाएंगे। इस बीच सोनिया गांधी ने आंदोलन को लेकर केंद्र सरकार पर निशाना साधा है।

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